पाकिस्तान जेल में कैसे रखे जाते बाहर के कैदी, रिहा मछुआरों ने बयां की सिरहन पैदा करने वाली दास्तां…….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
बांदा/महोबा। पाकिस्तान जेल से छूटकर गांव लौटे मछुआरे उन दिनों को याद कर सिहर उठते हैं। बताते हैं कि जेल में दिन भर में पांच रोटी खाने को मिलती थीं और अपनों की याद में रोते हुए समय कटता था। आपबीती बताते.बताते आंखें छलछला उठती हैं लेकिन बेबसी देखिए कुछ लोग रोजगार के लिए उसी ठिकाने जाने की बात भी कहते हैं।
महोबा और बांदा के पांच युवकों को गुजरात के ओखा में समुद्र से मछली पकडऩे के दौरान पाकिस्तानी नौसेना ने पकड़ लिया था। बीते पांच साल से वह पाकिस्तान की जेल में थे और इसी माह वह जेल से छूटे हैं। अब वह उन दिनों की याद कर सिहर उठते हैं। बिसंडा तहसील क्षेत्र के निवासी बच्ची लाल बताते हैं कि जेल में सुबह चाय के साथ एक, दोपहर में दो रोटी, सब्जी, सालन और शाम को दो रोटी सब्जी, सालन और एक प्लेट चावल मिलता था। घर.बच्चों की याद में रोते हुए समय कटता था। गुजरात के सेठ ने मदद की। घर आते समय चार हजार रुपये और बस का किराया दिया। बांदा में उतरने के बाद बच्चों के लिए सेब, केला, अनार, मूंगफली के दाना भी खरीद कर लाया। गांव आकर सुकून मिला है।