चंदौली: अजीबोगरीब आदेश…….जब मांगा अपना जमानत राशि तो कर दिया निरस्त,, दो साल काम करने बाद डीडीयू मंडल के अधिकारी ने कर दिया था भुगतान,, लगाया गम्भीर आरोप
दीनदयालनगर ( मुगलसराय)। चंदौली
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट भारत स्वच्छता अभियान को लेकर तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं।वहीं दूसरी तरफ रेल अधिकारियो का रवैया पीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को प्रभावित करता दिखाई दे रहा है।
मामला भारतीय रेलवे के पूर्व मध्य रेल के अंतर्गत आने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल का है।जहां रेल मंडल के यांत्रिक विभाग के अधिकारियों द्वारा एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया गया है। जिसमें ट्रेनों में साफ सफाई कराने वाली फर्म का का टेंडर काम पूरा होने और काम का भुगतान होने के कई महीनों बाद कर दिया गया है और फर्म की जमानत धनराशि जब्त करने का भी फरमान सुना दिया गया है।
दरअसल ट्रेनों में साफ सफाई का काम कराने वाले बिहार के खगौल के एक फर्म संचालक ने दीनदयाल मंडल के यांत्रिक विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।खगोल की इस फर्म खगौल लेबर को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड को 2 साल पहले 12 मार्च 2019 को ट्रेनों में साफ-सफाई का ठेका मिला था।फर्म ने मानक के अनुसार काम कराते हुए अपने ठेके की अवधि पूरी कर ली.इसके बाद फर्म को उसके काम का भुगतान भी रेलवे द्वारा 4 अप्रैल 2021 को कर दिया गया।
इसके बाद जब फर्म के संचालक ने अपनी जमानत धनराशि की मांग की।तो यांत्रिक विभाग के अधिकारियों द्वारा टालमटोल किया जाने लगा।इसके बाद इस संदर्भ में फर्म के संचालक ने कई बार संबंधित अधिकारियों को पत्राचार भी किया।लेकिन उसकी जमानत धनराशि( परफारमेंस गारंटी मनी) वापस नहीं की गई। बल्कि उल्टे उसकी फर्म के टेंडर को ही निरस्त कर दिया गया। जबकि संबंधित टेंडर का काम भी पूरा हो गया था और भुगतान भी किया जा चुका था।
दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल के यांत्रिक विभाग द्वारा इस फर्म का टेंडर निरस्त किए जाने और जमानत धनराशि जब किए जाने के आदेश के बाद फर्म का संचालक काफी परेशान है.
यह पूरा का पूरा मामला रेलवे में व्याप्त कमीशन खोरी की तरह साफ साफ इशारा करता है और चर्चा का विषय बना हुआ है. वीडियो मंडल के यांत्रिक विभाग की इस कार्यवाही पर सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह थी कि काम पूरा होने और काम का भुगतान होने के कई महीने बाद डीडीयू रेल मंडल के यांत्रिक विभाग द्वारा इस फर्म के खिलाफ इस तरह की कार्यवाही की गई ? सवाल यह भी उठता है कि अगर फर्म द्वारा मानक के अनुरूप काम नहीं कराया गया था। तो काम के एवज में भुगतान ही क्यों किया गया ? आखिरी भुगतान करते समय इस फर्म के भुगतान पर रोक क्यों नहीं लगाई गई ? यह सभी सवाल डिलीवरी मंडल के यांत्रिक विभाग में व्याप्त कमीशनखोरी की तरफ साफ- साफ इशारा करते हैं।
इस संदर्भ में जब हमने दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल के डीआरएम से उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उनका फोन नहीं उठा।
वहीं फर्म के मालिक ने कहा कि जो टेंडर हमें मिला था 2019 में दो साल के लिए मैंने इमानदारी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए काम को अप्रैल 2021 में पूरा कराया। जिसके बाद विभाग द्वारा कार्य करने भुगतान का किया गया। अक्टूबर माह में जमानत राशि जमा था उसे मांगा तो हमें परेशान कर शुरू कर दिया। मैंने कई पत्र भी लिखे। जिसके बाद उन्होंने हमारा टेंडर निरस्त कर दिया। जिससे मैं मानसिक और आर्थिक रूप से काफी परेशान हो गया हूं। मेरी गलती यह है कि मैंने अपना जमानत राशि मांग लिया। जिसे वे देना नहीं चाहते