अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच गठबंधन पर क्यों नहीं बन पाई बात, पढ़िए इसके पीछे की पूरी कहानी…….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
अखिलेश यादव ने तेजी से ओबीसी और दलित वर्ग के बड़े नेताओं को समाजवादी पार्टी से जोड़ा। माना जा रहा था कि वह बड़े दलित नेता के रूप में पहचान बना चुके चंद्रशेखर आजाद को भी गठबंधन में शामिल करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सीट बंटवारे को लेकर दोनों नेताओं में बात नहीं बनी। पढ़िए इसके पीछे की पूरी कहानी…..
गठबंधन से किसका फायदा होता
चंद्रशेखर आजाद और उनकी आजाद समाज पार्टी का उत्तर प्रदेश के दलित युवाओं के बीच काफी क्रेज है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर, हाथरस, बिजनौर और आगरा जिलों आजाद के लाखों समर्थक हैं। आजाद खुद सहारनपुर से हैं जहां 20 फीसदी से अधिक दलित वोट हैं। सहारनपुर जिले में सात विधानसभा सीटें हैं जिन पर चंद्रशेखर का सहयोग निर्णायक साबित हो सकता है। उत्तर प्रदेश में करीब बीस प्रतिशत दलित वोट हैं। ये वोटबैंक मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ रहा है। पिछले कुछ सालों में चंद्रशेखर ने मायावती के इस दलित वोटबैंक में सेंध लगा ली।