Thursday, April 25, 2024
उत्तर-प्रदेशजौनपुर

तहसीलदार को बनना पड़ा अनाथ तीन बच्चों का अभिभावक, बीमा की धनराशि देने के लिए हुई व्यवस्था……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

जौनपुर। शहर कोतवाली क्षेत्र के बड़ी मस्जिद के पीछे गत 21 अक्टूबर को मकान गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। इसमें एक परिवार के माता.पिता समेत चार की भी मौत हो गई थी। लिहाजा जब आश्रितों को आर्थिक सहायता देने की बात आई तो प्रशासन के सामने चुनौती खड़ी हो गई। वजह कि बच्चे नाबालिग हैं और उनका बैंकों में खाता भी नहीं है। बैंक पहुंचे तो उन बच्चों के अंगूठे भी जल गए थे। फिर भी किसी तरह से खाता खोला गया। जब उनके बालिग न होने व नामिनी बनाने की बात आई तो एसडीएम ने बच्चों का अभिभावक तहसीलदार को बना दिया। जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रह सके।

रौजा अर्जन में करीब सात दशक पुरानी ईंट व मिट्टी के गारे से बना पुश्तैनी जर्जर मकान था। 21 अक्टूबर की मध्य रात्रि में मकान अचानक भरभराकर गिर गया। जिसमें उस मकान में रह रहे पांच सदस्यों की मौत हो गई। घटना में तीन बच्चों के माता.पिता संजीदा व जमालुद्दीन दोनों की मौत हो गई। साथ ही इसी परिवार के दो अन्य सदस्यों की भी मौत हो गई थी। इससे नाबालिग वजीहुद्दीन उर्फ मोहम्मद वजी, स्नेहा, हेरा के सिर से माता.पिता का साया भी उठ गया। ऐसे में दैवीय आपदा के तहत मृत परिवार के आश्रितों को चार लाख रुपये की प्रति व्यक्ति आर्थिक सहायता दी जाती है। इसका भुगतान करते समय परिवार के अन्य लोग बच्चों के अभिभावक बनने की बात करने लगे। जिस पर एसडीएम हिमांशु नागपाल के नेतृत्व में अधिकारियों ने यह निर्णय लिया कि अगर परिवार के लोग बाद में बदल गए तो बच्चों का भविष्य खराब हो जाएगा। ऐसे सदर तहसीलदार को उनका अभिभावक बना दिया गया। जिससे परिवार के चार मृत सदस्यों के हिसाब से 16 लाख रुपये व दो मृत बकरी 12 हजार, गृह अनुदान के रूप में 95 हजार, कपड़े व बर्तन को 3800 रुपये दिए गए। कुल मिलाकर 17 लाख 4900 रुपये ड्राफ्ट तैयार कर बच्चों के खाते में डाला गया। जिसका नामिनी सदर तहसीलदार को बनाया गया। इससे कोई भी इस पद पर तैनात अधिकारी ही भविष्य में बच्चों के बालिग होने तक पढ़ाई व शादी के समय निकालकर दे सकेगा। जिससे इनका पैसा सुरक्षित रहे।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *