कागजों में पी रहे दूध, खा रहे जुगाड़ के फल…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
हरदोई। परिषदीय विद्यालयों में व्यवस्था सुधार के प्रयास तो बहुत हो रहे हैं। लेकिन सिस्टम की अनदेखी और जिम्मेदारी की लापरवाही से बच्चों को योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। मिड.डे मील के साथ बुधवार को दूध और सोमवार को फल वितरित किए जाते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण काल के बाद से अभी तक यह व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है। एक तो महंगाई और दूसरे मनमानी भारी पड़ती है। खबर में शामिल दो उदाहरण तो महज समझाने के लिए हैं। अधिकांश विद्यालयों में यही हो रहा है। सब कुछ कागजों में जुगाड़ से चल रहा है।
परिषदीय विद्यालयों में हर सोमवार को प्राथमिक के बच्चे को 100 ग्राम और उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चे को 150 ग्राम दूध पिलाने की व्यवस्था है। हर सोमवार को मौसमी फल भी दिया जाना चाहिए। अब इसके लिए दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं और अधिकारी निरीक्षण में कार्रवाई भी करते हैं। लेकिन हकीकत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। अध्यापकों का कहना है कि प्राथमिक के बच्चे के लिए 4.97 रुपये और उच्च प्राथमिक के बच्चे को 7.45 रुपये परिवर्तन लागत के रूप में आते हैं। जबकि कम से कम 50 रुपये लीटर मिलता है। ऐसे में इतनी धनराशि से दूध पिलाना भारी पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ फलों के लिए 2019.20 की बकाया धनराशि का मार्च 2020 में भुगतान कर दिया गया था। उसके बाद धनराशि ही नहीं दी गई है। ऐसे में सब कुछ जुगाड़ से चल रहा है। कुछ विद्यालयों में खानापूर्ति हो भी रही है। लेकिन में सब कागजों पर चलता है। .मिड.डे मील के साथ बच्चों को दूध और फल वितरण का आदेश है।