मिट्टी खाने की लत छुड़ाने के लिए तांत्रिक ने बच्चे को खिलाया ब्रश और कील, करना पड़ा आपरेशन……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर। मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए मां और स्वजन ने एक तांत्रिक के कहने पर बच्चे की जान जोखिम में डाल दी। तांत्रिक की सलाह पर मां और स्वजन बच्चे को ब्रश और कील खिलाते रहे। मिट्टी खाना तो कम नहीं हुआ। बच्चे के पेट में दर्द शुरू हो गया। दर्द से राहत नहीं मिली तो स्वजन बच्चे को लेकर बाबा राघवदास मेडिकल कालेज पहुंचे। यहां जांच में पता चला कि बच्चे के पेट में कई ब्रश और कीलें हैं। डाक्टरों ने आपरेशन कर बच्चे की जान बचाई। आपरेशन के बाद बच्चे के पेट से 13 टूथ ब्रश व एक कील निकली।
यह है मामला
देवरिया जिले के खुखुंदू थाना क्षेत्र के पिपरा मिश्र निवासी जयराम के 14 वर्षीय बेटे हरिकेश को बचपन से मिट्टी खाने की आदत है। शुरू में घर वालों ने ध्यान नहीं दिया लेकिन जैसे.जैसे हरिकेश की उम्र बढ़ती गई। मिट्टी खाने की आदत भी बढ़ती गई। स्वजन का कहना है कि हरिकेश को कई डाक्टरों को दिखाया गया लेकिन दवाओं का कोई फायदा नहीं मिला। जैसे ही हरिकेश को मौका मिलता, वह मिट्टी खाने लगता। यहां तक कि वह मिट्टी का चूल्हा भी फोड़कर खाने लगा था।
एक्सरे देख हैरान रह गए डाक्टर
शुक्रवार को स्वजन हरिकेश को लेकर मेडिकल कालेज आए तो डाक्टरों ने एक्सरे की सलाह दी। एक्सरे में पेट में ब्रश और कीलनुमा की चीज देखकर डाक्टरों ने स्वजन से बात की। स्वजन ने बताया कि मिट्टी छुड़ाने के लिए वह हरिकेश को लेकर गांव के ही एक तांत्रिक के पास गए थे। तांत्रिक ने बताया कि मिट्टी छुड़ाने के लिए उसे प्लास्टिक और लोहा खिलाना पड़ेगा।
जबरदस्ती खिलाते थे
डाक्टरों को स्वजन ने बताया कि हरिकेश जब टूथब्रश और कील नहीं खाता था तो जबरदस्ती उसका मुंह खोलकर यह सारी वस्तुएं डाली जाती थीं। तब किसी को पता ही नहीं था कि मिट्टी छुड़ाने के लिए अपनाई जा रही इस युक्ति से बच्चे की जान पर बन आएगी।
इन डाक्टरों ने किया आपरेशन
सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डा. अशोक कुमार यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दीपक सिंह, एनेस्थीसिया के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मेहताब आलम की टीम ने आपरेशन किया। डा. अशोक यादव ने बताया कि मरीज ओपीडी में पेट दर्द और उल्टी की शिकायत क साथ आया था। बच्चे की मां बता रही थी कि टूथब्रश और कील खा लिया है। जब एक्सरे करवाया गया तो आमाशय में सभी चीजें पड़ी दिखीं। जांच कराकर आपरेशन किया गया। बच्चे को खून की कमी थी इस कारण दो यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। शनिवार शाम चार बजे आपरेशन शुरू हुआ। एक घंटे आपरेशन चला। यदि और देर होती तो कील आंत को फाड़कर बाहर आ जाती। इससे बच्चे की जान पर खतरा बन जाता।