शादी तय होने पर घर छोड़ दिया था, घर परिवार में कहलाते थे बुद्दू……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज। जनवरी 2001 को सीएमपी डिग्री कालेज के शिक्षक प्रो. महेश सिंह के लैंडलाइन नंबर पर आयी काल। दूसरी ओर से आवाज आयी डा. साहब, मैं महंत नरेंद्र गिरि बोल रहा हूं, कैसे हैं आप….। यह सुनकर वो अचंभित हो गए। बोले मैं किसी नरेंद्र गिरि को नहीं जानता। आप कौन हैं फिर हंसते हुए आवाज आयी. मामा मैं बुद्दू हूं। मैंने संन्यास ग्रहण कर लिया है। सारे संस्कार पूरे हो गए हैं। सिर्फ घर से भिक्षा लेने की परंपरा पूरी करनी है उसे आपको करवाना है। महंत नरेंद्र गिरि के मामा प्रो. महेश सिंह बताते हैं कि नरेंद्र का फोन आने पर ही घरवालों को पता चला कि उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया। वे ननिहाल घनुपुर बरौत के पास स्थित गिर्दकोट गांव आए, सबको प्रणाम किया। भिक्षा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कह दिया कि अब आप लोगों से मेरा कोई संबंध नहीं है। उसके बाद से मुझे मामा की जगह डॉक्टर साहब कहने लगे।