जज्बे को सलामः महिलाओं की आबरू बचाने के लिए इस बेटी ने छोड़ी सरकारी नौकरी, बोली. निर्भया कांड से बदली जिंदगी की दिशा…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
बरेली। दूसरों के लिए अपनी खुशियों का बलिदान देने के चर्चे कम ही सुनने को मिलते हैं। लेकिन शहर की एक बिटिया है जो इन चर्चाओं का हिस्सा है। बेटियों और महिलाओं को दंरिदों से बचाव के गुर सिखाने के लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी ही छोड़ दी। बरेली में ताइक्वांडो के जनक कहे जाने वाले स्वः हरीश बोहरा से ताइक्वांडो के गुर सीखे और अब बेटियों को अपनी आबरू बचाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित कर रही हैं।
शालिनी विश्वकर्मा ने बतौर शौक वर्ष 2009 से ताइक्वांडो सीखना शुरू किया। इस बीच उन्होंने राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर चैपिंयनशिप में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अभी ओलंपिक में गोल्डन पंच लगाकर जिले का नाम रोशन करने की तैयारी चल ही रही थी। लेकिन 16 दिसंबर 2012 में दिल्ली के पालमपुर में निर्भया के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने उनका यह शौक बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सीखाने में तब्दील हो गया। बताया कि वर्ष 2010 में गवर्मेंट इंटर कालेज में विज्ञान की शिक्षिका के रूप में तैनात हुईं। लेकिनए दो साल बाद दिल्ली में हुई इस शर्मसार घटना के बाद अपनी राह को बदल दिया। रेलवे स्पोर्ट्स स्टेडियम में बच्चों को सीखाने के बाद वह गांव.गांव जाकर भी बेटियों को प्रशिक्षण देती हैं।
प्रशिक्षण देने का नहीं लेतीं कोई शुल्क
उन्होंने बताया कि वे बेटियों को ताइक्वांडो सीखाने के लिए उनसे कोई शुल्क नहीं लेतीं। कहती हैं कि उनका लक्ष्य पैसे कमाना नहीं बल्कि बेटियों को सशक्त बनाना है। खास बात यह है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर बेटियों को बाहर राज्य स्तर पर प्रदर्शन कराने के लिए ले जाने का खर्च भी खुद से ही उठाती हैं।
बोलीं शादी के बाद के नहीं दे पाऊंगी समय
परिवार में शालिनी समेत छह भाई.बहन हैं। लेकिनए वह अब तक अविवाहित इसलिए हैं ताकि उनका अभ्यास प्रभावित न हो। साथ ही उन्हें बच्चों को ताइक्वांडो सीखाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।