यहां गहरा रहा है आतंकियों का नाता, पहले भी मिली यहां पनाह, जानें. कब.कब दबोचे गए दहशतगर्द…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। अदब के शहर लखनऊ में आतंकियों की जड़े गहरी रही हैं। राजधानी में आतंकियों को न सिर्फ पनाह मिलती रही है। बल्कि यहां से वे अपने नेटवर्क को उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों में बढ़ाते भी रहे हैं। लखनऊ के काकोरी क्षेत्र स्थित हाजी कालोनी में आतंकवाद निरोधक दस्ता एटीएस ने आठ मार्च 2017 को आइएसआइ से जुड़े आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया था। कानपुर का निवासी सैफुल्ला यहां किराये के मकान में अपना ठिकाना बनाए था। उसके कमरे से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ था। बाद में एटीएस ने प्रदेश में सक्रिय उसके कई साथियों को भी दबोचा था।
12 अगस्त 2008 को एसटीएफ ने जमात.उल.मुजाहिद्दीन के आतंकी मुण्मसरूर को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। मसरूर यहां चारबाग स्थित रेलवे क्वार्टर में छिपकर रहता था और लालबाग स्थित शीशे के शोरूम में नाम बदलकर काम कर रहा था। कुछ वर्ष पूर्व एटीएस ने एक आतंकी संगठन को असलहे सप्लाई करने के आरोप में माडल हाउस निवासी इजहार खान को पकड़ा था। तब पुलिस ने आरोपी इजहार के कैसरबाग व अमीनाबाद क्षेत्र के निवासी एक दर्जन साथियों व मददगारों को चिन्हित करने का दावा भी किया था।
इससे पूर्व सितंबर 2007 में एटीएस ने सिमी के सक्रिय सदस्य शहबाज अहमद को पकड़ा था। जो यहां मौलवीगंज क्षेत्र में एक एजेंसी का संचालन करता था। आरोपी शहबाज का नाम जयपुर में हुए बम धमाके में सामने आया था। ऐसे ही वर्ष 2006 में कैंट क्षेत्र में पकड़ा गया आइएसआइ एजेंट लारेब खान यहां आइटी चौराहे के पास एक प्लेसमेंट एजेंसी का संचालन कर रहा था। सच तो यह है कि दस सालों में लखनऊ से कई आइएसआइ एजेंट व आतंकी पकड़े जा चुके हैं। ऐसी हर घटना के बाद खुफिया एजेंसियां लंबी छानबीन भी करती रही हैं। लेकिन राजधानी से उनका नेटवर्क पूरी तरह से कभी तोड़ा नहीं जा सका है।