सफर में पिता से बिछ़ड गई थी बेटी, ससुरालियों ने लगा दिया था बेचने का आरोप, पांच साल बाद धुला दाग, पढ़िए पूरी कहानी….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद। आगरा के पार्वतीपुरा उर्फ पातीपुरा गांव निवासी राजेश के दामन पर बेटी को बेचने का लगा दाग पांच साल बाद सोमवार को धुल गया। उनकी बेटी गाजियाबाद के घरौंदा बालगृह में मिली है। जिसे परिवार के सुपुर्द कर दिया गया है।
ये है मामला
राजेश ने बताया कि जुलाई 2016 में पहले वह आगरा में अपने साले संजय के साथ आगरा में छोले. भठूरे बेचने का काम करते थे। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी पत्नी आगरा में ही अपने मायके चली गई थी। वहां बेटी अन्नू से ज्यादा लगाव होने के कारण उसे अपने साथ घर लेकर आने लगे तब पत्नी और ससुरालियों से विवाद हो गया। तब वह बेटी को हरिद्वार घुमाने ले गए। वहां से वापस लौटते वक्त गौतमबुद्धनगर निवासी अपने रिश्तेदार से आर्थिक मदद लेने के लिए गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरे। रेलवे स्टेशन से कुछ दूर पर खाना खाकर वह सुस्ताने के लिए रुके तो नींद लग गई। नींद खुली तो अन्नू लापता मिली।
डेढ़ माह तक गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर की सड़कों से लेकर सोसायटियों में राजेश ने बेटी को तलाशा लेकिन सफलता न मिलने पर वह मायूस होकर घर लौट गए जबकि आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण ससुरालियों ने समझा कि राजेश ने बेटी को बेच दिया है। राजेश ने आरोपों को नकारा लेकिन किसी ने विश्वास नहीं किया।
ऐसे मिली बच्ची
घरौंदा बालगृह के संचालक ओमकार ने बताया कि 12 जुलाई 2016 को गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर अन्नू को लावारिस हालत में देख किसी व्यक्ति ने चाइल्ड लाइन को सूचना दी। बच्ची को खोड़ा स्थित माता स्मृति होम में रखा गया। 11 अगस्त 2018 को बच्ची को मुजफ्फरनगर स्थित आदर्श बालगृह में भेज दिया गया। वहां से आठ मई 2019 को उसे घरौंदा बालगृह में लाया गया। जहां काउंसलिंग करने पर बच्ची ने बताया कि उसका घर पातीपुरा में है और आगरा में नानी के घर से आते वक्त वह पिता से बिछ़ड़ गई थी।