पानी की कमी हुई तो अकेले खोद डाला तालाब, पढ़ें इस वाटर मैन की खबर….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
मैथन । धनबाद का निरसा प्रखंड। यहां के महरायडीह गांव में रहते हैं किसान भोलानाथ सिंह। अब 60 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उत्साह नौजवानों सा है। जिद जुनून और धुन के पक्के भोलानाथ बोलने से ज्यादा काम करने में भरोसा रखते हैं। इसलिए ज्यादा बातें नहीं करते अपने काम में लगे रहते हैं। उन्होंने अपने गांव में पानी का संकट देखा तो इसका समाधान ढूंढने में लग गए। ढाई दशक पहले एक दिन बहुत सोच.विचार कर इस नतीजे पर पहुंचे कि बारिश में व्यर्थ बह जाने वाली पानी सहेज कर वह पूरे गांव के किसानों के लिए पानी का इंतजाम कर सकते हैं।
इस पर उन्होंने गांव के लोगों से बात की लेकिन लोगों ने इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद भोलानाथ अकेले ही पानी के लिए पसीना बहाने लगे। उनके पास खेती लायक थोड़ी जमीन है। इसी के एक हिस्से पर उन्होंने अकेले ही तालाब खोदना शुरू किया। वह रोज सुबह घर से कुदाल.फावड़ा लेकर निकलते और दिनभर तालाब खोदने के बाद शाम ढलने तक वापस आते। इस क्रम में कई बार घरवालों से लेकर समाज और गांव के लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया लेकिन वह तनिक भी नहीं डिगे
रंग लाई मेहनत अब खोद रहे दूसरा तालाब
भोलानाथ ने चार साल 3 महीने की हाड़तोड़ मेहनत कर 1998 में 50 फीट व्यास का तालाब तैयार कर लिया। तालाब तैयार हुआ तो लोगों ने उनकी मेहनत की खुले दिल से सराहना की। साथ ही उनकी मेहनत और जुनून के कायल हुए। आज फसलों की सिंचाई से लेकर अन्य कार्यों के लिए इस तालाब का उपयोग पूरा गांव करता है। भोलानाथ को इस बात की संतुष्टि रहती है कि उनकी मेहनत काम आई। तालाब की वजह से आसपास का जलस्तर भी पहले से बेहतर हुआ है। एक तालाब खोदने में सफल होने के बाद भोलानाथ अब अपने खेत में दूसरा तालाब खोदने में जुट गए हैं। इस बार तालाब 100 फीट व्यास का है। लेकिन इसकी खोदाई भी वह अकेले अपने दम पर कर रहे हैं। मकसद यही कि गांव व खेतों में बारिश का पानी व्यर्थ न बह जाए।