जानिये, उत्तर प्रदेश के किस वीर योद्धा ने बैलों की जगह अंग्रेजों को बांधकर चलवाया था हल…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा। आजादी की पहली लड़ाई 1857 की क्रांति में शहर के वीर योद्धाओं ने अहम भूमिका निभाई थी। ग्रेटर नोएडा के वीर साहसी दरियाव सिंह गुर्जर समेत आस.पास के वीरों ने अंग्रेजों से कई दिनों तक युद्ध किया था। जुनेदपुर गांव के आस.पास आज भी अंग्रेजों की कोठियां व किले मौजूद हैं। दरियाव सिंह के खौफ के चलते कभी अंग्रेज इस इलाके में घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे। यहां तक कि 12 मई 1857 को सिकंदराबाद तहसील पर धावा बोल कर हथियार और अंग्रेजों का खजाना अपने अधिकार में कर लिया था। वहीं अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के कहने पर दादरी के राजा राव उमराव सिंह की अगुआई में मई 1857 में अंग्रेजों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से रोक दिया था। साथ ही कई अंग्रेज सैनिकों को बंदी बनाकर दादरी के खेतों में उनसे हल चलवाया था। हालांकि बाद में 40 से अधिक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया और उन्हें बुलंदशहर के कालेआम पर फांसी दे दी गई थी। आज भी इन शहीदों की याद में शहीदी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं।
साहसी योद्धा थे दरियाव सिंह
बुलंदशहर के कालेआम पर सैकड़ों वीरों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था। शहीदों में जुनेदपुर के दरियाव सिंह भी सहासी क्रांतिकारी थे। इनके नेतृत्व में आस.पास के ग्रामीणों ने अंग्रेजी सेना से कई दिनों तक युद्ध कर अंग्रेजों से लोहा लिया था। दनकौर एरिया में अंग्रेजों की कोठी और किले मौजूद हैं। मेरठ से आजादी की क्रांति की शुरुआत होने के बाद में दरियाव सिंह और उनके नेत्रत्व मे ग्रामीण क्रांतिकारियों ने 1857 के गदर मे अंग्रेजी हुकुमत के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने देशभक्ति से ओत.प्रोत कर आस.पास के लोगों को देश की आजादी के लिए इक्ट्ठा कर लिया। खुद को मजबूज करने के लिए 12 मई 1857 को इन क्रांतिकारियों ने सिकंदराबाद तहसील पर धावा बोल कर हथियार और खजाना अपने अधिकार में कर लिया।