हद है! पहले बेटे की जगह थमाई बेटी और फिर प्रसूता की किडनी निकालने की कोशिश, पढ़ें यह मामला….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
कानपुर। शहर के हैलट अस्पताल की महिला डॉक्टर पर शुक्रवार को बेहद संगीन आरोप लगा। डीआइजी के संज्ञान में जैसे ही ये मामला सामने आया उन्होंने तत्काल जांच के अादेश दे दिए। दरअसल, आराेप है कि हैलट की डॉक्टर ने प्रसूता को बेटे के बदले बेटी दे दी। मरीज की हालत को खराब बता कर उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया। हद तो तब हो गई जब उस प्राइवेट अस्पताल में मरीज की किडनी निकालने की तैयारी होने लगी। पीड़ित परिवार ने डीआइजी के समक्ष दर्द बयां किया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
21 जनवरी से हुई थी मामले की शुरुआत
उन्नाव के पुरवा तहसील के सदासू खेड़ा निवासी संदीप के मुताबिक उनकी बहन छेदाना देवी को प्रसव पीड़ा के बाद 21 जनवरी को हैलट में भर्ती कराया गया था । 22 जनवरी को उन्हें ऑपरेशन के बाद पुत्र हुआ। लेकिन करीब दो घंटे के बाद उनके हाथ में लड़की थमा दी गई। डॉक्टरों ने लड़की की सूखी हुई गर्भनाल को देखकर आशंका व्यक्त की कि इसकी उम्र पांच या छह दिन की होगी। इस पर संदीप और उनके स्वजन को शक हुआ । जब वे आपत्ति दर्ज कराने अस्पताल प्रशासन के पास पहुंचे तो डॉक्टरों ने छेदाना देवी की हालत को गंभीर बताया और उन्हें रमा शिव नामक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया। साथ में ये भी कह दिया गया कि यह प्राइवेट अस्पताल हैलट की ही शाखा है। निजी अस्पताल में ज्यादा पैसों की मांग किए जाने पर संदीप का परिवार पुनः हैलट पहुंचा और आपत्ति जताई कि हैलट की शाखा होने के बावजूद इतना खर्च क्यों तब हैलट की ही एक नर्स ने संदीप काे मामले की सत्यता से अवगत कराया। तभी कहीं से संदीप को पता चला कि निजी अस्पताल में उनकी बहन की किडनी निकालने की तैयारी हो रही है।
विश्व हिंदू परिषद ने बचाई मरीज की जान
इतना सब होने के बाद संदीप ने विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष उदयभान शुक्ला और संगठन मंत्री सोनू मलिक से संपर्क किया। उन्हें मामले की पूरी जानकारी दी। तब विहिप कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मदद से 31 जनवरी को छेदाना देवी को अस्पताल प्रशासन के कब्जे से मुक्त कराया। बता दें कि तब तक अस्पताल प्रशासन उनसे लगभग 90 हजार रुपये एेंठ चुका था।