स्वयं मैदान से बाहर हुए, अब दांव लगाने को अपने की तलाश…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण आवंटन की सूची प्रकाशित होते ही हर तरह के संशय समाप्त हो गए हैं। जिसे इस बार चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलने वाला, वह आपत्ति करने की तैयारी में है।
परफार्मेंस ग्रांट के रूप में करोड़ों का बजट पाने वाली ग्राम पंचायतों में से 50 फीसद से अधिक के आरक्षण बदल गए हैं। अपने कार्यकाल में बजट पाने वाले जो निवर्तमान प्रधान आरक्षण के चलते चुनाव मैदान से बाहर हो चुके हैं। वे अब चुनाव में दखल बरकरार रखने के लिए अपनों की तलाश में हैं।
पिपरौली ब्लाक की जंगल दीर्घन सिंह ग्राम पंचायत हो या कौड़ीराम ब्लाक की बांसपार व बेलीपार ग्राम पंचायत आरक्षण का डंडा ऐसा चला है कि यहां के निवर्तमान प्रधान चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसी तरह भटहट ब्लाक की औरंगाबाद ग्राम पंचायत में भी प्रधान चुनाव की दौड़ से बाहर हो गए हैं। कई ऐसे गांव हैं। जहां अन्य पिछड़ा वर्ग या अनुसूचित जाति के प्रधान थे और ये गांव अनारक्षित हो गए हैं। ऐसे में यहां के प्रधान एक बार फिर चुनाव मैदान में दांव आजमाते नजर आएंगे।
परफार्मेंस ग्रांट वाले कुछ गांवों में पिछली बार आरक्षण महिला था। इस बार अनारक्षित हो गया है। पर, खलबली उन गांवों में है। जहां के निवर्तमान प्रधान चुनाव मैदान से बाहर हो चुके हैं। यहां पांच साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे दावेदार भी आरक्षण के चलते मैदान से बाहर हो गए हैं। निवर्तमान प्रधान अपने प्रयासों से मिले बजट व गांव में किए गए विकास कार्यों के चलते इस बार भी चुनाव में भरपूर दखल रखना चाहते हैं। इसके लिए आरक्षित सीट के हिसाब से विश्वासपात्र व्यक्ति खोजकर उसे चुनाव मैदान में उतारने की पूरी तैयारी है।
गोला के दो गांव पंचायत चुनाव से रहेंगे दूर
जिले की 37 ग्राम पंचायतों को परफार्मेंस ग्रांट मिला था। इसमें से तीन गांव पहले ही नगर निगम या नगर पंचायतों में शामिल हो चुके हैं। शेष 34 गांवाें में से गोला ब्लाक के दो गांव भड़सड़ा एवं बनकटा भी गोला नगर पंचायत के विस्तार में शामिल हो चुके हैं।