हौसलों के पंख से अंतरराष्ट्रीय पैरा शटलर अबु हुबैदा ने भरी ऊंची उड़ान, देश और विदेश में लहराया…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। महज दो वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण एक पैर खराब हो गया। इस बीमारी ने मुझे बेचारा बना दिया था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता जी पीएसी में सिपाही जरूर थे। लेकिन सैलरी बहुत कम थी। परिवार बड़ा होने के चलते खर्चा पूरा नहीं हो पाता था। ऐसी विपरीत परिस्थिति के बावजूद मां ने न सिर्फ संभाला बल्कि, आगे बढऩे की प्रेरणा भी दी। मैंने भी हालात का डटकर सामना किया। आज रिजल्ट सबके सामने है। यह कहना है लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय पैरा शटलर अबु हुबैदा का।
शनिवार को दैनिक जागरण से बातचीत में अंतरराष्ट्रीय शटलर अबु हुबैदा कहते हैं। मेरे पिता जी की सैलरी इतनी नहीं होती थी कि मैं अच्छी जगह बैडमिंटन की ट्रेनिंग कर सकूं। वर्ष 2016 की बात है। मुझे एक चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए चीन जाना था। लेकिनए मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि इस चैंपियनशिप में प्रतिभाग कर सकूं। अबु बताते हैं, हालांकि, मेरे कोच गौरव खन्ना ने बहुत मदद की। मैं वह समय कभी नहीं भूल सकता। मैंने शुरुआत से ही बहुत संघर्ष किया है। लेकिन, बहुत खुश हूं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की बदौलत मंजिल मिल गई। बता दें कि अबु हुबैदा को इस वर्ष यूपी दिवस के अवसर पर योगी सरकार ने प्रदेश के सर्वोच्च खेल सम्मान लक्ष्मण अवॉर्ड से सम्मानित किया। पैरा खिलाडिय़ों को पहली बार सामान्य खिलाडिय़ों की सूची में शामिल किया गया। अबु इन दिनों लखनऊ के एक्सीलिया स्कूल में चल रहे भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के साथ कैंप कर रहे हैं। यह कैंप आगामी ओलंपिक क्वालीफायर और विश्व चैंपियनशिप की तैयारी के मद्देनजर लगाया गया है। अबु व्हीलचेयर.2 कैटेगरी में खेलते हैं और विश्व में शीर्ष.20 खिलाडिय़ों की सूची में शामिल रहे हैं। इस दिग्गज पैरा खिलाड़ी का बचपन पीएसी महानगर में ही बीता। उन्होंने पहला राष्ट्रीय टूर्नामेंट वर्ष 2011 में खेला था। जबकि वर्ष 2016 में अबु का चयन एशियन पैरा बैडमिंटन चैैंपियनशिप के लिए हुआ। यह उनके करियर का अहम मोड़ था। इसके बाद से अबु ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।