यहां का वो लोकसभा सीट, जहां से एक बार मजदूर नेता बना सांसद, पढ़िए पूरी डिटेल……
जमशेदपुर। औद्योगिक नगरी जमशेदपुर मजदूरों का शहर रहा है। यह शहर सुभाष चंद्र बोस, अब्दुल बारी, वीजी गोपाल, टीकाराम मांझी, केदार महतो जैसे दिग्गज मजदूर नेताओं की कर्मस्थली रही, लेकिन संसद की देहरी लांघने की मजदूर नेताओं की मुरीद यहां की जनता पूरी नहीं होने दी। हालांकि इस माामले में गोपेश्वर भाग्यशाली रहे, जिन्हें लौहनगरी के मतदाताओं ने लोकसभा तक पहुंचाया।
1984 में गोपेश्वर ने जीता था चुनाव
चार दशक तक टेल्को वर्कर्स यूनियन के महासचिव रहे गोपेश्वर ने 1984 में इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने वाम विचारधारा के मजदूर नेता टीकाराम माझी को पराजित किया था। वर्ष 2008 में गोपेश्वर की मृत्यु हो गई।
इनके बाद से अब तक एक भी मजदूर नेता लोकसभा का सदस्य नहीं बन पाया। विधानसभा में भी मजदूर नेताओं का यही हाल रहा। वर्ष 1995 में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से कांग्रेस से केपी सिंह के बाद किसी मजदूर नेता को टिकट नहीं मिला है।
कभी वाम दलों का था गहरा प्रभाव
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (26,880 मत) ने केपी सिंह (25,779 मत) को 1101 मतों से हराया था। इस सीट पर 1970 व 80 के दशक में वाम दलों के मजदूर नेताओं का गहरा प्रभाव रहा। एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केदार दास 1971 में भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। वह कांग्रेस के स्वर्ण सिंह से मात्र 206 मत से हार गए थे।
विधानसभा चुनाव में मजदूर नेताओं की भूमिका
1967 में जमशेदपुर पूर्वी से सीपीआई के टिकट पर केदार दास व जमशेदपुर पश्चिमी सुशील मुखर्जी को टिकट दिया गया था। दोनों ने जीत हासिल की। 1972 में केदार दास के अलावे पश्चिम से रामावतार सिंह ने जीत हासिल की थी। 1977, 1980 व 1990 में दक्षिणपंथी जनसंघ के बड़े नेता दीनानाथ पांडेय जीते।
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