यहां के इस छोटे से गांव से अब तक 13 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ी निकलीं, हॉकी टीम की ये खिलाड़ी भी इसी माटी से…..
झारखंड, पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
खूंटी। खूंटी की भूमि हॉकी के लिए हमेशा से उर्वरा रही है। सबसे पहले वर्ष 1928 में ओलंपिक में स्वर्ण दिलाकर मारांग गोमके जयपास सिंह मुंडा ने खूंटी का नाम रौशन किया था। जिले के सुदूरवर्ती टकरा गांव निवासी जयपाल सिंह ने जिले में हॉकी की बुनियाद मजबूती के साथ रखा था। इसके बाद गोपाल भेंगरा भी ओलंपिक खेलकर जिले का नाम देश व दुनिया में रौशन किया था। लेकिन निक्की प्रधान इकलौती लड़की है जिन्होंने दो बार ओलंपिक खेलने का कीर्तिमान स्थापित किया है। जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश की वह पहली लड़की है जो ओलंपिक खेल रही है। निक्की एक ऐसे गांव से आती है। जहां खेलने के लिए मैदान भी नहीं है। बुलंद हौसला और कड़ी मेहनत के बदौलत निक्की आज इस मुकाम तक पहुंची है। निक्की के इस मुकसम तक पहुंचने में सबसे अधिक सार्थक भूमिका निभाई है उनके प्रारंभिक कोच व शिक्षक दशरथ महतो ने। दशरथ महतो के सीखाए गुर के कारण ही निक्की का चयन जुनियर साई सेंटर, बरियातु, रांची में हुआ था। जहां निक्की ने सपनों की उड़ान भरना शुरू किया। दशरथ महतो ने निक्की ही नहीं बल्कि उनी दो बहनों को भी राष्ट्रीय स्तर का हॉकी खिलाड़ी बनाने में सार्थक योगदान दिया है।