Tuesday, April 30, 2024
उत्तर-प्रदेशचंदौली

चकिया में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का हुआ समापन, कुलपति, चीफ प्राक्टर ने दिया व्याख्यान…..नहीं पहुंच सके विशेष सचिव……

दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का हुआ समापन

चकिया, चंदौली। स्थानीय सावित्री बाई फूले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के स्वामी विवेकानंद के सभागार में आयोजित उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रायोजित भारतीय ज्ञान परंपरा: विज्ञान, समाज और संस्कृति की संपोषिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी, विशिष्ट अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के प्रो. दयाशंकर तिवारी व काशी विद्यापीठ के कुलानुशासक प्रो. अमिता सिंह सहित प्राचार्य संगीता सिन्हा ने संयुक्त रुप से मां सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर किया।

समापन सत्र का शुभारंभ करने के दौरान काशी विद्यापीठ के कुलपति ने कहा कि हम सभी आज भी अपनी परंपराओं से जुड़े हुए है। जिसका निरंतर प्रवाह अपने वैज्ञानिकता के कारण बना हुआ है। लेकिन आज भी आम आदमी और शास्त्र के बीच खाई बढ़ती जा रही है। जिससे हमारी परंपरा आडंबर का स्वरुप लेता जा रहा है। अतः इससे मुक्त होने के लिए भारतीय शास्त्रों में वर्णित ज्ञान को सभी विद्यार्थियों को विस्तारित करना बहुत जरुरी है। इस कार्य हेतु भारतीय ज्ञान परंपरा का राष्ट्रीय कारण करना अति आवश्यक है। ताकि ज्ञान आम आदमी को सुलभ हो सके।

वहीं विशिष्ठ अतिथि दयाशंकर तिवारी ने कहा कि धर्म ज्ञान का मूल स्त्रोत है। जिससे विद्या का सृजन होता है। यह विद्या भौतिक व आत्यात्मिक विज्ञान को लोक कल्याण कारी स्वरुप प्रदान किया। यह स्वरुप वेद उपनिषद, अर्थशास्त्र आदि ग्रंथों में वर्णित किया गया है। इसके साथ ही काशी विद्यापीठ की चीफ प्राक्टर प्रो. अमिता सिंह ने कहा कि अपनी परंपरा ज्ञान व संस्कृति की वैज्ञानिकता के माध्यम से जुड़कर ही हम प्राचीन काल में विश्वगुरु के ख्याति को प्राप्त किया था। वैवाहित संस्कार की वैज्ञानिकता और उपयोगिता हमारा परंपरागत समाज, ज्ञानवर्धक, समावेशी सोच और वैज्ञानित स्वरुप को विस्तार पूर्वक बताया।

अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डा. संगीता सिन्हा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा अद्वुतीय ज्ञान व प्रज्ञा का प्रतिक है। जिसमें ज्ञान व विज्ञान, अलौकिक व परालौकिक, कर्म और धर्म तथा, भोग व त्याग का अद्भुत समन्यवय है। सेमीनार में 6 तकनीकी सत्र चलाये गये। जहां तकनीकी सत्र में प्रस्तुत पेपर का वाचन किया गया।

इस दौरान डा. सुबोध थेरो, डा. बृजेश सिंह, प्रो. सुनील कुमार तिवारी, प्रो. विजय शंकर त्रिवेदी, डा. कलावती, डा. प्रियंका पटेल, पवन कुमार, डा. संतोष कुमार यादव, डा. शमशेर बहादुर, डा. संतोष कुमार यादव, डा. अंकिता सिंह, विश्व प्रकाश, संयोजक प्रो. अमिता सिंह, सह संयोजक डा. मिथिलेश कुमार सहित विश्व प्रकाश शुक्ल, देवेन्द्र बहादुर सिंह, सुरेन्द्र प्रसाद, विपीन शर्मा, श्याम जनम सोनकर सहित अन्य लोग मौजूद रहें।

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