मुरादाबाद । अदालत ने संभल के छह साल पुराने टेलर हत्याकांड में फैसला सुनाया। अदालत में पिता-पुत्र समेत तीन मुलजिमों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीनों दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में संभल के बिलारी थाना क्षेत्र के रुस्तमपुर खास निवासी मेहरबान पुत्र राम भरोसे ने 9 फरवरी 2018 को हजरत नगर गढ़ी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
जिसमें उसने बताया था कि उसका छोटा भाई राजू टेलर था। आठ फरवरी की सुबह वह बाइक से सहसपुर में अपनी दुकान पर गया था। देर रात तक वापस नहीं आया। अगले दिन नौ फरवरी की सुबह उसकी तलाश की गई। तब हजरत नगर गढ़ी क्षेत्र के सोनकपुर के जंगल में राजू का शव मिला था। गला घोंटकर राजू की हत्या की गई थी।
मृतक की जेब से एक पर्ची मिली थी। जिसमें जबर सिंह, बलराम और गजेंद्र के नाम लिखे थे। पर्ची में लिखे नामों के आधार पर पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। तब तीनों ने पुलिस को बताया कि इस हत्या के पीछे संभल के हयातनगर के सौंधन निवासी विजय का हाथ हो सकता है। विजय जबर सिंह का दामाद है।
विवेचना के दौरान इसके अलावा मृतक राजू के गांव में रहने वाले रूप सिंह ने भी पुलिस को बताया था कि उसने 8 फरवरी की देर शाम राजू को विजय पुत्र विवेकानंद, हजरत नगर गढ़ी के उमरारा निवासी मनोज और मनोज के पिता श्याम सिंह के साथ देखा था। विजय और मनोज आपस में रिश्तेदार हैं।
रूप सिंह के बयानों के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने बताया कि विजय और राजू की दोस्ती थी। दोनों ही कपड़ा सिलाई का काम करते थे। विजय सिंह के अपनी साली से संबंध थे और वह नहीं चाहता था कि उसकी शादी किसी दूसरे के साथ हो। विजय साली से शादी करना चाहता था लेकिन विजय के ससुर जबर सिंह उसकी शादी कहीं और करना चाहते थे।
इस कारण से विजय अपने ससुर जबर सिंह, गजेंद्र सिंह, बलराम को हत्या के झूठे मुकदमे में फंसा कर अपनी साली से शादी करना चाहता था। जिसके लिए उसने अपने दोस्त मनोज और उसके पिता श्याम सिंह के साथ मिलकर राजू की हत्या की थी।
इस मामले की सुनवाई एडीजे ग्यारह रंजीत कुमार की अदालत में की गई सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मधु रानी चौहान ने बताया कि इस मामले में अदालत ने तीनों आरोपी विजय, मनोज और श्याम सिंह को हत्या के आरोप में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा के साथ प्रत्येक पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
अभियोजन पक्ष ने पेश किए 12 गवाह
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मधु रानी चौहान ने बताया कि इस मामले में हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए 12 गवाह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए थे। जिसमें मौके के गवाह रूम सिंह की गवाही के बाद ही हत्या के सारे राज खुलते गए। रूम सिंह ही एक मात्र ऐसा गवाह था, जिसने अंतिम बार मृतक राजू को दोषियों के साथ घटना वाली रात देखा था। जिसके बाद राजू की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी।
तीनों के खिलाफ दाखिल किया गया था आरोप पत्र
इस मुकदमे की विवेचना सब इंस्पेक्टर कुशलवीर सिंह ने की थी। जिन्होंने मुकदमे की कड़ी से कड़ी जोड़कर असली आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। अन्यथा आरोपियों ने बड़ी चालाकी से निर्दोष लोगों को इस जुर्म में फंसाने की योजना बना दी थी। सब इंस्पेक्टर कुशलवीर सिंह ने इस हत्याकांड का खुलासा करते हुए 4 अप्रैल 2018 को महज दो माह बाद ही अदालत में तीनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया था
मृतक की पत्नी ने की थी मुकदमे की पैरवी
इस मामले में आरोपियों द्वारा कई बार राजू के परिजनों को रुपये का लालच देकर फैसले की बात करनी चाही लेकिन राजू की पत्नी दानवती ने किसी भी प्रकार से दोषियों से कोई समझौता नहीं किया और मुकदमे की पैरवी कर उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया।
अच्छे दोस्त थे राजू और विजय
राजू और विजय दोनों ही कपड़े सिलाई का काम करते थे और दोनों काफी समय पहले दिल्ली में भी एक साथ काम करने के लिए गए थे। इस कारण से दोनों के बीच में काफी अच्छी दोस्ती भी हो गई थी। दिल्ली से अपने घर वापस आ गए और अपनी अपनी टेलर की दुकान खोल ली थी। दोस्ती के कारण ही राजू को विजय पर विश्वास था लेकिन विजय ने अपनी लालसा पूरी करने के उद्देश्य से विश्वासघात कर राजू को मौत के घाट उतार दिया।