Sunday, April 28, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

यहां लगा भूतों का मेला, कहीं छड़ी से पीटा गया तो कहीं झूमती दिखीं महिलाएं…..

हाजीपुर। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हर की पावन भूमि हरिहर क्षेत्र के हाजीपुर एवं सोनपुर के विभिन्न घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र नारायणी में डुबकी लगाई।

इस दौरान हर.हरए बम.बम से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। रविवार की आधी रात से ही पवित्र स्नान शुरू हो गया। हाजीपुर में श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ कोनहारा घाट पर थी। आस्था और विश्वास का उद्भुत छटा बिखर रही थी। हर के चेहरे पर उल्लास था।

प्रशासन के साथ भारी संख्या में स्काउट गाइड के कैडेट भीड़ को नियंत्रित करने में लगे थे। घाटों की ओर जाने वाले रास्तों में पूजा के सामान की खूब बिक्री हुई।

मालूम हो कि हाजीपुर और सोनपुर में बीते दो दिन से श्रद्धालुओं के जुटने का सिलसिला शुरू हो गया था। वैशाली और सारण के अलावा दूसरे जिलों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे।

मिथिलांचल से बड़ी संख्या में लोग आए थे। हाजीपुर के कोनहारा घाट के अलावा सीढ़ी घाट, महेश्वर घाट, पुल घाट, क्लब घाट, बालादास घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी थी।

मजिस्ट्रेट, हजारों पुलिसकर्मी किए गए थे तैनात

कार्तिक पूर्णिमा मेले को लेकर हाजीपुर में मजिस्ट्रेट एवं हजारों पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। डीएम यशपाल मीणा एवं एसपी रविरंजन कुमार सभी घाटों का पैदल मुआयना कर रहे थे। घाटों पर गोताखोरों के अलावा एसडीआरएफ की टीम घाटों पर मुस्तैद थी।

स्नान के बाद बाबा हरिहरनाथ में पूजा.अर्चना और जलाभिषेक के लिए हाजीपुर से रवाना हुए। घाटों पर सीसीटीवी से निगरानी की जा रही थी।

भक्त की पुकार पर यहां पधारे थे प्रभु

हरिहर क्षेत्र का धार्मिक आख्यान है कि यहां कोनहारा घाट के पास गंगा.गंडक संगम में गज और ग्राह के बीच युद्ध हुआ था। काफी बलवान होने के बावजूद पानी में गज कमजोर पड़ गया तभी गंगा में उसे एक कमल का फूल दिखाई पड़ा।

गज ने अपने सूढ़ में कमल का फूल और गंगाजल लेकर हरि की अराधना की। भक्त की पुकार पर स्वयं हरि पधारे और ग्राह का वध कर गज की प्राणरक्षा की। प्रभु के हाथों मरकर जहां ग्राह को मोक्ष की प्राप्ति हो गई तो वहींए गज को नया जीवन मिला।

मोक्ष एवं नये जीवन की प्राप्ति की कामना को लेकर हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में लोग हरिहरक्षेत्र सोनपुर व हाजीपुर के तमाम घाटों पर स्नान करते हैं।

घाटों पर भूत झाड़ने का भी चल रहा खेल

कार्तिक पूर्णिमा के दिन विभिन्न घाटों पर भूत का भी खेल चला। सदियों से कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हरिहर क्षेत्र में अंधविश्वास के नाम पर भूतखेली का तमाशा होता आ रहा है। आश्चर्य यह कि यह सब कुछ प्रशासन के नाक के नीचे हो रहा था।

भूतखेली के इस तमाशे में शामिल लोग न तो इसे अंधविश्वास मानते हैं और न ही खेल, बल्कि लोगों पर बुरी आत्माओं के साये से छुटकारा दिलाने का उपाय मानते हैं।

सदियों से चला आ रहा है ये परंपरा

यह खेल कार्तिक पूर्णिमा पर सदियों से होता आ रहा है। इसमें अक्सर कथित रूप से पीड़ित स्त्री और पुरुष को शारीरिक पीड़ा भी पहुंचती है। छड़ी से उसे पीटा जाता है और यह सब कुछ भूत भगाने के नाम पर होता है।

ग्राम्यांचलों से आए लोग इसमें शामिल होते हैं। इसे देखने के लिए तमाशबीन भी होते हैं, लेकिन इस तमाशे को रोकने.टोकने की जहमत न तो प्रशासन के नुमाइंदे करते हैं और ना ही समाज के बुद्धिजीवी।

इस खेल में कथित रूप से भूत उतारने वाला भगत होता है। भगत पुरुष भी होता है और स्त्री भी। रोल दोनों का एक ही है. भूत उतारना। हाथ में छड़ी लिए ये भगत उटपटांग शब्दों का उच्चारण करते घाटों पर कथित रूप से पीड़ित स्त्री या पुरुष सवार भूत उतारते हैं।

घाटों पर भूत झाड़ने का खेल

कथित रूप से भूतों से ग्रस्त जितनी महिलाएं कार्तिक पूर्णिमा के मौके हाजीपुर के कोनहारा घाट पर पहुंचती हैं वे निम्न आय या निम्न मध्यम आय की श्रेणी के परिवारों से आती हैं, जहां आज भी शिक्षा का अभाव है। उसे घरों की महिलाओं को अगर कोई भी शारीरिक या मानसिक बीमारी होती है तो अंधविश्वास के कारण उस बीमारी को भूतों या बुरी आत्माओं का असर मानने लगती हैं। और यहीं से भगतों का खेल शुरू हो जाता है।

आस्था से जुड़े इस पवित्र मौक पर कई ऐसे दृश्य घाटों पर दिख रहे हैं जो आज के युग में लोगों को अचंभित कर रहा है। घाटों पर भूत झाड़ने का खेल चल रहा है। शाम ढलते ही घाटों पर सार्वजनिक रूप से यह खेल शुरू हो गया जो अनवरत जारी है। गांवों से ओझा बड़ी तादाद में यहां पहुंचे हैं और गंगा.गंडक संगम में भूत झाड़ रहे हैं। अधिकतर अशिक्षित महिलाएं ओझा.गुणी के चक्कर में देखी जा रही हैं।

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