न बारात न बैंड, बाजा, कानपुर में दुल्हन और जर्मनी में दूल्हा, दोनों ने आनलाइन कबूल किया निकाह…..
कानपुर। मुफ्ती साहब मस्जिद में कंप्यूटर के सामने बैठे थे। कंप्यूटर पर जर्मनी से मोहम्मद हस्सान आनलाइन जु़ड़े हुए थे। मुफ्ती इकबाल ने पूछा की उनको हाजी फरहत हुसैन की बेटी से निकाह कबूल है। उन्होंने तीन बार कबूल है कहकर इसकी रजामंदी दी। उसके बाद एक दूसरे को मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया।
यह नजारा था सिविल लाइंस एम्पायर एस्टेट की मस्जिद में वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुए निकाह का। मुस्लिमों में अब इसका चलन बढ़ रहा है। लड़का अगर दूसरे शहर या विदेश में है और किसी वजह से नहीं आ पा रहा है तो आनलाइन निकाह का विकल्प चुना जा रहा है। एम्पायर इस्टेट निवासी हाजी फरहत हुसैन ने अपनी बेटी की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मोहम्मद मुनीर के बेटे मोहम्मद हस्सान से तय की थी।
हस्सान वर्तमान समय में जर्मनी में रहते हैं। निकाह का वक्त करीब आया तो मुफ्तियों व घरवालों से मशविरा किया गया। ऐसे में तय हु्आ की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सादगी से निकाह किया जाए। दूल्हा व दुल्हन पक्ष दोनों ने इस पर रजामंदी दे दी। इसके दोनों का निकाह आनलाइन कराया गया। इस दौरान न तो बारात, न बैंड.बाजा रहा।
सादगी से हुए निकाह के दौरान के लड़के के पिता व अन्य रिश्तेदार मौजूद रहे। इससे पहले महिला शहरकाजी डा. हिना जहीर ने लाकडाउन में अपने बेटे नजफ का निकाह वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराया था। अगर दूल्हा विदेश में है तो यह दूरी निकाह में रुकावट नहीं बन रही है। उलमा भी इसके लिए सकारात्मक सोच के साथ आगे आ रहे हैं। वे आधुनिक युग में इलेक्ट्रानिक्स गैजेट्स का प्रयोग कर रहे हैं।
सहालग में बढ़े सादगी से निकाह, न शोर न प्रदूषण
आल इंडिया मुस्लिम पर्सलन ला बोर्ड की से सादगी से चलाई गई सादगी से निकाह की मुहिम का असर दिखाई देने लगा है। शादियों में न बैंड.बाजे का शोर हो रहा है न ही आतिशबाजी से प्रदूषण फैल रहा है। दूल्हे के घरवाले मस्जिद पहुंच कर निकाह कर रहे हैं। उसके बाद घर जा रहे हैं। हालांकि यह व्यवस्था अभी पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है। शहरकाजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी ने अपने बेटे का निकाह मस्जिद में सादगी से किया है। इस दौरान लड़की पक्ष पर किसी तरह का बोझ नहीं डाला गया। हाजी फरहत हुसैन ने भी अपनी बेटी का निकाह सादगी से किया।
बेटी की शादी सादगी से कराई है। दामाद जर्मनी में है। उसके पिता मोहम्मद मुनीर एएमयू के रसायन विज्ञान विभाग के चेयरमैन है। अन्य लोग भी अपने बच्चों की शादी कराते वक्त इस पर अमल करें।
हाजी फरहत हुसैन
मेरा निकाह मस्जिद में सादगी से हुआ। किसी तरह का शोरशराबा व आतिशबाजी आदि का प्रदूषण भी नहीं रहा। युवा वर्ग को इस तरह के निकाह के लिए आगे आना चाहिए। अपने अभिभावकों को भी इसके लिए समझाएं
अबूबकर हादी
मस्जिदों में सादगी से निकाह का चलन बढ़ रहा है। इस तरह के कई निकाह में शिरकत कर चुके हैं। शादियों में लड़की पक्ष पर किसी तरह का बोझ नहीं डालना चाहिए।
हाफिज मामूर अहमद, शहरकाजी
शादियों में फिजूलखर्ची रोक, गैर जरूरी रस्मों को खत्म कर निकाह को आसान बनाएं। स्वयं इस पर अमल करें तथा दूसरों को भी प्रेरित करें। उलमा इसके लिए आगे आएं।
हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी, शहरकाजी