खाकी के कंधे से इंसानियत काे सहारा, इस खबर को पढ़कर आपका दिल भी करेगा सलाम….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
आगरा। अदृश्य बीमारी का डर था। अपने भी दूरी बना रहे थे और मानवीयता खत्म होती दिख रही थी। ऐसे में खाकी वाले इंसानियत के पुरोधा मैदान में डटे थे। उन्होंने अपनी ड्यूटी तो की ही इंसानियत का फर्ज भी निभाया। एक तरफ कोरोना से बेखौफ होकर पुलिसकर्मियों ने मोक्ष धाम पर अर्थियों को कंधा दिया। वहीं दूसरी ओर एक सब इंस्पेक्टर ने बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार करने से लेकर त्रयोदशी संस्कार तक करके मानवता की मिसाल पेश की।
कोरोना संक्रमण 18 अप्रैल से अपने चरम पर था। मौत का आंकड़ा भी बढ़ गया था। ऐसे में ताजगंज मोक्ष धाम पर व्यवस्थाएं संभालने के लिए पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। यहां इंस्पेक्टर ताजगंज उमेश चंद्र त्रिपाठी, चौकी प्रभारी ताजमहल पूजा शर्माए हेड कांस्टेबल महेंद्र, कांस्टेबल भूनंदन और सोवरन दिन रात व्यवस्थाएं देख रहे थे। कोरोना संक्रमितों के शव के साथ कई बार एक.एक व्यक्ति ही पहुंच रहे थे। मोक्षधाम पर दिन में रुपये लेकर कुछ लोग मदद करने के लिए मिल जाते थे। मगर रात में कोई मददगार नहीं मिलता था। एंबुलेंस शव को छोड़कर चली जाती थी। इसके बाद हर रात को ऐसे लोगों की मदद को खाकी वाले आगे आते थे। कोराेना संक्रमण की चिंता किए बिना ये पुलिसकर्मी अर्थी को अपने कंधों पर उठाकर चिता तक पहुंचाते थे। उधर एकता पुलिस चौकी प्रभारी शैलेंद्र सिंह चौहान ने शमसाबाद रोड स्थित जयपुरिया कालोनी में अकेली रहने वाली शारदा देवी का बेटे की तरह अंतिम संस्कार किया। शारदा अपने घर में अकेली रहती थीं। उनके पति मुंबई और बेटे दुबई में फंस गए थे। शैलेंद्र सिंह ने उनके आग्रह पर पांच मई को ताजगंज मोक्षधाम पर अंतिम संस्कार किया। 16 मई को उन्होंने पूरे विधि विधान से त्रयोदशी संस्कार कर पुलिस चौकी पर 13 ब्राह्मणों को भोजन कराया।