32 साल में चौथी बार दिन में हो रही है गंगा आरती, दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर अलग ही है नजारा……
वाराणसी। चंद्रग्रहण के कारण वाराणसी में गंगा आरती का समय भी बदला गया है। 32 साल में चौथी बार दिन में गंगा आरती हो रही है। सूतक से पहले इसे पूर्ण कर लिया जाएगा। दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर दिन में गंगा आरती हुई तो नजारा ही अलग था।
ग्रहण का द्वादश राशि पर प्रभाव
मेष. घात, वृष. हानि, मिथुन. लाभ, कर्क. सुख, सिंह. माननाश, कन्या. मृत्य तुल्य कष्ट, तुला. स्त्री पीड़ा, वृश्चिक. सौख्य वृद्धि, धनु. चिंता, मकर. व्यथा, कुंभ. श्री, मीन. क्षति।
चंद्रग्रहण के कारण पहली बार दिन में होगी स्वरूपों की विदाई
शरद पूर्णिमा के दिन लग रहे चंद्रग्रहण ने रामलीला के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। मुख्य स्वरूपों का विदाई समारोह किले में रात में न होकर शनिवार को दिन में होगा। कोट विदाई के नाम से मशहूर यह आयोजन रामलीला का हिस्सा नहीं होता लेकिन रामलीला प्रेमी इसे भी भगवान के आतिथ्य समारोह के रूप में लेते हैं।
रामलीला के सारे मुख्य स्वरूप लीला की वेशभूषा में होते हैं और उनका आतिथ्य खुद काशीराज परिवार के अनंत नारायण सिंह समेत राजपरिवार के अन्य सदस्य करते हैं। हर साल यह आयोजन शरद पूर्णिमा के दिन किया जाता है। लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है। चंद्रग्रहण तो रात एक बजकर पांच मिनट पर लग रहा है लेकिन सूतक काल नौ घंटे पहले ही शुरू हो जा रहा है। इस दौरान धार्मिक कार्य स्थगित रहते हैं। इसे देखते हुए अनंत नारायण सिंह ने यह समारोह शनिवार को दिन में कराने का निर्णय लिया है। कोट विदाई के दिन होने वाली हर रस्म जस की तस निभाई जाएगी। आयोजन शनिवार की सुबह लगभग नौ बजे के बाद शुरू होगा। ऐसा संभवतः पहली बार हो रहा है जब कोट विदाई दिन में आयोजित हो रही है।