आज होगा भविष्यवाणी, इंतजार खत्म…. ऐतिहासिक परम्परा का आज होगा शुरुआत……बाग स्थित पोखरे पर जुटेंगे, राजा लेंगे भाग, अनूठे रंगमंच का पर्दा उठेगा, एक महीने तक चलेगा
रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का अनंत चतुर्दशी पर श्रीगणेश हो जाएगा। बृहस्पतिवार को ठीक शाम पांच बजे रामबाग लीला स्थल में रावण जन्म और रामावतार की भविष्यवाणी के साथ ही दुनिया के अनूठे रंगमंच का पर्दा उठेगा।
बाग स्थित पोखरा क्षीर सागर का रुतबा पाएगा और शेष शैय्या पर लेटे श्रीहरि की झांकी निखर जाएगी। इसके लिए देश-विदेश से लीला प्रेमियों के जत्थे दोपहर से ही उमड़ पड़े। साधु-संन्यासियों ने मठ-मंदिरों में डेरा डाल दिया तो नेमियों ने अपने-अपने ठिकानों में रात्रि विश्राम कर बृहस्पतिवार की शाम का इंतजार किया।
इंद्रदेव का पूजन और पूर्वाभ्यास
रामलीला पर निकलने वाली शाही सवारी के मद्देनजर बुधवार शाम नगर के प्रमुख मार्गों पर पूर्वाभ्यास किया गया। हालांकि इसमें बाघंबरी बग्घी के बजाय इस बार शहर से सामान्य बग्घी मंगाकर पूर्वाभ्यास किया गया जो लीला स्थलों तक जाकर दुर्ग लौटी। इससे पहले प्रातःकाल लीला निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए दुर्ग के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से की बुर्जी पर परंपरानुसार इंद्रदेव का पूजन कर सफेद सफेद ध्वज फहराया गया।
दोहा चौपाई गायन को विराम
रामलीला के क्रम में भाद्र शुक्ल चतुर्थी से रामलीला पक्की पर चल रहे बालकांड के 175 दोहे-चौपाइयों का बुधवार की शाम गायन पूरा कर लिया गया। दस दिनों तक इसमें रामायणी दल ने उन प्रसंगों का गायन किया जिनका लीला में मंचन नहीं किया जाता है।
शेषनाग व पुतलों को अंतिम रूप देने में जुटे कारीगर
नगर स्थित रामबाग पोखरा पर बृहस्पतिवार को अनंत चतुर्दशी के दिन रावण जन्म व क्षीरसागर की झांकी से शुरू होने वाली रामलीला स्थलों पर पूरे दिन साफ सफाई व कीचड़ पाटने का काम होता रहा। जेसीबी मशीन सहित आधा दर्जन से ज्यादा कर्मचारी काम में जुटे रहे। इसके अलावा रामलीला में उपयोग होने वाले पक्षी व जानवरों के पुतलों को अंतिम रूप देने के लिए कारीगर मेहनत करते नजर आए। सबसे ज्यादा कारीगर क्षीरसागर के दौरान प्रयोग होने वाले शेषनाग को बनाने में लगे रहे। कारीगरों का कहना था कि गुरुवार दोपहर तक शेषनाग को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।