Monday, April 29, 2024
उत्तर-प्रदेशचंदौली

चंदौली में अनोखी परंपरा, इन दो गांवों गाली से होती शुरुआत; एक-दूसरे पर फेंकते हैं पत्थर……..दोनों गांवों के बीच स्थित नाले के पास एकत्र होते हैं,  संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों को भी तैनात रहते हैं

चंदौली, पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

चंदौली जिले में नाग पंचमी के पावन पर्व पर एक अनोखी परंपरा सालों से चली आ रही है। आज दिन बिसुपुर व महुआरीखास गांव के लोग एक-दूसरे पर कंकड़-पत्थर फेंकते हैं। वर्षों से चली आ रही परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांवों के लोग आते हैं। युवक, युवतियां, पुरुष और महिलाएं सुबह नाग देवता की पूजन करने के बाद शाम को इस परंपरा का निर्वाह करने के लिए दोनों गांवों के बीच स्थित नाले के पास एकत्र होते हैं। किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों को भी तैनात किया जाता है।

गाली देकर होती है परंपरा की शुरुआत
परंपरा की शुरुआत लोग एक-दूसरे को गाली देकर करते हैं। फिर शुरू होता है कंकड़-पत्थर फेंकने का दौर। यह तब तक चलता है, जब तक दोनों तरफ से किसी के सिर से खून नहीं निकल जाता। पहले काफी लोग चोटिल हो जाते थे। पुलिसकर्मी भी घायल हो जाते थे लेकिन पुलिस प्रशासन की सक्रियता की वजह से अब केवल रस्म की अदायगी भर होती है।

कब से शुरू हुई परंपरा किसी को नहीं पता
महुआरी गांव निवासी पूर्व प्रधान ओमनारायण सिंह व ग्रामीण उमाशंकर यादव ने बताया कि नागपंचमी पर्व पर दोनों गांवों में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। यह परंपरा कब शुरू हुई और किसने शुरू की इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। गांव के बड़े बुजुर्ग भी कुछ नहीं बता पाते हैं। हालांकि समय के साथ इसमें बदलाव हुआ है। अब केवल रस्म अदा की जाती है। ग्रामीणों के अनुसार यदि इस परंपरा का निर्वहन नहीं किया जाए तो अनिष्ट की आशंका बनी रहती है।

आज नागपंचमी का पर्व सोमवार को मनाया गया। हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस विशेष दिन पर नाग देवता की विधि विधान से उपासना और पूजा की जाती है। नागपंचमी के दिन नाग देवता के मंदिर में जल चढ़ाकर पूजा पाठ करने से साधक की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। कई प्रकार की समस्याएं भी टल जाती हैं। इस दिन भगवान शिव के मंत्र का जाप करना बेहद चमत्कारी माना जाता है। इस मंत्र के जाप से सकारात्मक परिणाम बहुत जल्द मिलता है। नागपंचमी के दिन नाग देवता के मंदिर में पूजा होती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प संबंधी दोष होता है। उससे मुक्ति पाने के लिए नागपंचमी पर विधि विधान से पूजा पाठ व साधक द्वारा उपासना की जाती है।

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