Saturday, April 27, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

शराब के धंधे में हुआ बड़ा खेल, सरकार को लगाया गया 1276 करोड़ का चूना…..

लखनऊ। प्रदेश सरकार के लिए बड़ा राजस्व जुटाने वाले आबकारी विभाग की कार्यशैली हिसाब.किताब मानकों पर सरकार को झटका दे रही है। अब नियंत्रक.महालेखा परीक्षक सीएजी की पड़ताल में यह तथ्य स्पष्ट उजागर हुए हैं। लाइसेंस शुल्क व ब्याज की कम वसूली और इनपुट आबकारी सामग्री के उपभोग की मात्र कम आंके जाने से 1276 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति राज्य सरकार को पहुंची है।

सीएजी ने अपनी पड़ताल में बिंदुवार अनियमितताओं को उजागर करते हुए सरकार को वसूली के लिए कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया है। साथ ही इस कार्य में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की भी अपेक्षा की है। आबकारी विभाग के राजस्व क्षति का बड़ा कारण इनपुट आबकारी सामग्री के उपभोग की मात्र को कम आंकना बना है।

वर्ष 2013.14 से 2019.20 की अवधि के दौरान इससे सरकार को 1078.09 करोड़ रुपये की हानि हुई है। सहायक आबकारी आयुक्त और रेडिको खेतान लिमिटेड रामपुर के कार्यालय के लेखापरीक्षा के दौरान सीएजी ने पाया कि शराब के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री शीरा, ग्रेन एवं बारले माल्ट से संबंधित आंकड़ों को कम करके दर्शाया गया है। जब इनका मिलान आयकर विभाग के वैधानिक रिटर्न के माध्यम से प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से किया गया तो काफी अंतर आया।

प्रयुक्त सामग्री में पाई गई विसंगतियों से यह स्पष्ट हुआ कि इनपुट के उपभोग को आबकारी विभाग में कम करके बताया गया हैए जिससे सीधे तौर पर 595.75 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।

इस पर 482.34 करोड़ रुपये का ब्याज भी लिया जाना था। क्योंकि विभाग की नीति के तहत राजस्व का भुगतान तीन माह तक न किए जाने पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूलने का प्रविधान है। परिणाम स्वरूप सरकार को 1078 करोड़ रुपये के राजस्व का सीधा नुकसान हुआ है। वहीं लाइसेंस शुल्क और ब्याज की वसूली न किए जाने से जुड़े 2508 अन्य मामलों के कारण सरकार को 164 करोड़ का नुकसान हुआ है।

 

 

 

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