चार सौ करोड़ की 36 परियोजनाओं पर बनी सहमति, देश की दिग्गज कंपनी से ली जाएगी कंसल्टेंसी……
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये की 36 नई परियोजनाओं पर सोमवार को सहमति बनी। तीन अगस्त को होने वाली बैठक में भी कई प्रोजेक्ट पर सहमति बनेगी। महाकुंभ को को महादिव्य और महाभव्य बनाने को देश की फोर बिग कंपनियों में से एक की कंसल्टेंसी ली जाएगी, जो प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट पीएमयू के तौर पर काम करेगी।
इनमें दो कंपनियां अर्न्स्ट एंड यंग ईवाई तथा केपीएमजी के बीच होड़ है। कुंभ 2019 में ईवाई कंसल्टेंसी दे चुकी है। दोनों कंपनियों ने सोमवार को प्रयागराज मेला प्राधिकरण प्रशासन के सामने अपना प्रजेंटेशन दिया। दोनों कंपनियों के टेंडर एक्सपर्ट्स, आइटी प्रोफेशनल्स, इवेंट मैनेजर्स, लेआउट प्लानर्स, अर्बन प्लानिंग प्रोफेशनल्स, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स का इंटरव्यू भी हुआ।
लगभग चार घंटे तक चले साक्षात्कार में इन कंपनियों के प्रतिनिधियों की उनकी योग्यता और अनुभव की जानकारी ली गई। अब इनमें से किसी एक कंपनी को ही कंसल्टेंट के रूप में हायर किया जाएगा।
महाकुंभ की तैयारियों को लेकर की गई समीक्षा
परेड मैदान के पास स्थित प्रयागराज मेला प्राधिकरण के सभागार में सोमवार को दिन भर चली बैठक में महाकुंभ की तैयारियों की प्रगति की समीक्षा की गई। एक दर्जन विभागों की नई परियोजनाओं को लेकर पहले विस्तृत चर्चा की गई जिसके बाद उन पर सहमति बनी, जिन्हें शासन की शीर्ष समिति अपेक्स कमेटी की बैठक में स्वीकृति दिलाने के लिए सूचीबद्ध किया गया।
चौथे चरण में लगभग एक हजार करोड़ रुपये की 130 परियोजनाएं शामिल करने की तैयारी है। जिनमें सोमवार को 400 करोड़ रुपये की 36 नई परियोजनाओं पर सहमति बनी। इसमें जार्जटाउन में मेला प्राधिकरण का मुख्यालय, ट्रांजिट हास्टल व गेस्ट हाउस भी शामिल है।
इसके अलावा रिवर फ्रंट रोड्स, मेला क्षेत्र की सड़कों तथा शहर से मेला की ओर से जाने मार्गों पर ग्रीनरी, जल निगम, पावर कार्पोरेशन, पीडीए, नगर निगम, पर्यटन विभाग, मेला प्राधिकरण, वन विभाग के प्रोजेक्ट हैं।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिवों तथा प्रमुख सचिवों वाली अपेक्स कमेटी की शीघ्र ही बैठक कराने की तैयारी है। कमेटी की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। जिनमें लगभग 2600 करोड़ रुपये की 400 से ज्यादा परियोजनाएं स्वीकृति हुई थीं।
महाकुंभ के दोनों एडीएम दयानंद प्रसाद और विवेक चतुर्वेदी को मानीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो परियोजनाएं सेना की जमीन के चलते नहीं शुरू हो पा रही हैं, उनके लिए विशेष कमेटी लगाई जाएगी।