कहीं सीधे तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी महापौर की जंग, मुस्लिम वोट बैंक का बिखराव……
लखनऊ। नगर निकाय चुनाव के पहले चरण के दस नगर निगम में महापौर पद के लिए हुए मतदान में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का मुकाबला सत्तारूढ़ दल भाजपा से रहा। मुस्लिम और दलित वोट बैंक के बिखराव के चलते सहारनपुर और आगरा में जहां भाजपा.बसपा के बीच सीधा मुकाबला नजर आया। वहीं मुरादाबाद में भाजपा.कांग्रेस के बीच मुकाबला दिखा। फिरोजाबाद में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया। दस नगर निगम में मतदान के बाद आए रुझान में भाजपा विपक्षी दलों पर बढ़त बनाती दिखी है। हालांकि 2017 में सभी दस नगर निगम में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार सहारनपुर, मुरादाबाद और आगरा में मुकाबला कांटे के बताए जा रहे हैं। वहीं लखनऊ में भाजपा मुख्य मुकाबले में नजर आई, जबकि सपा और कांग्रेस के बीच दूसरे नंबर की जंग रही। सपा, बसपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के चुनाव प्रचार मैदान से दूर रहने के बाद भी तीनों दलों के प्रत्याशी सामाजिक समीकरण के बल पर कड़ा मुकाबला करते नजर आए।
मुस्लिम वोट बैंक का बिखराव दिखा
प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक को सपा का परपंरागत वोट बैंक माना जाता है। लेकिन निकाय चुनाव में मुस्लिम वोट में बिखराव दिखा। मुस्लिमों ने सपा का एकतरफा समर्थन करने की जगह उस विपक्षी दल के साथ जाना उचित समझा जो भाजपा को हराने की स्थिति में है।
बसपा के गढ़ में दिखा मायावती का प्रभाव
बसपा सुप्रीमो मायावती हालांकि निकाय चुनाव में कहीं भी प्रचार करने नहीं गई। लेकिन बसपा का गढ़ माने जाने वाले सहारनपुर और आगरा में मायावती के संदेश मात्र से दलित वोट बैंक बड़ी संख्या में बसपा के समर्थन में नजर आया।
मुरादाबाद . भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला
मुरादाबाद में मेयर पद के लिए भाजपा से दो बार मेयर रह चुके विनोद अग्रवाल के सामने कांग्रेस से रिजवान कुरैशी, सपा से सैयद रईसुद्दीन, बसपा से मोहम्मद यामीन चुनाव मैदान में हैं। एआईएमआईएम ने मुस्तुजाब अहमद और आप ने चंदन भट्ट पर दांव लगाया है। यहां माना जा रहा था कि भाजपा से सपा का मुख्य मुकाबला होगा। कांग्रेस और बसपा उम्मीदवार सपा को चुनौती देंगे। मतदान के समय दृश्य बदल गया। मतदाताओं में सीधा ध्रुवीकरण देखने को मिला। इसमें भाजपा के विनोद अग्रवाल के मुकाबले कांग्रेस के रिजवान सीधी लड़ाई में नजर आए। कुछ इलाकों में ही सपा और बसपा भी लड़ाई में दिखी। 2017 में बसपा से लाखन सैनी प्रत्याशी होने से भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी हुई थी। इस बार ऐसा न होने का सीधा लाभ भाजपा को मिलता नजर आ रहा है। दूसरी ओर मुस्लिमों का अधिकतम रुझान कांग्रेस की ओर होने से मुकाबला आमने.सामने का बन गया है।
प्रयागराज भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस में चतुष्कोणीय मुकाबला
प्रयागराज में भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला होने के आसार बने हैं। खासतौर पर माफिया अतीक के गढ़ वाले क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान अप्रत्याशित तौर पर कांग्रेस की तरफ होता दिखा।
झांसी में भाजपा का पलड़ा भारी दिखा
मतदाताओं के रुख से झांसी नगर निगम के चुनाव में महापौर पद पर भाजपा के प्रत्याशी बिहारी लाल आर्य का पलड़ा भारी नजर आया। मतदान के दिन सपा, बसपा व कांग्रेस के प्रत्याशी अपने परंपरागत वोट बैंक में वोट हासिल करने के प्रयास में रहे। मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में जरूर बसपा और सपा ने उपस्थिति दर्ज कराई। जबकि हंसारी क्षेत्र के दो.तीन वार्डों में कांग्रेस का प्रभाव नजर आया। लेकिन ओवरऑल हवा भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में बही।
आगरा में भाजपा.बसपा के बीच हुई जंग
आगरा नगर निगम में इस बार फिर महापौर पद के लिए मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच ही होता नजर आया। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने मुकाबले को त्रिकोणीय करने के प्रयास किए, पर संगठन की कमीए बस्तों की गैर मौजूदगी का असर मतदान पर नजर आया। रही सही कसर कम मतदान ने पूरी कर दी।
फिरोजाबाद में त्रिकोणीय मुकाबला
फिरोजाबाद नगर निगम की मेयर सीट पर मतदान के बाद फिरोजाबाद में भाजपा, बसपा व सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। भाजपा के वोटों का गणित निर्दलीय प्रत्याशी ने कुछ कमजोर कर दिया है। बसपा प्रत्याशी को पति की मौत के बाद सहानुभूति वोट मिलता नजर आया। वह लड़ाई में बनी हुई हैं। वहीं समाजवादी पार्टी अपने परंपरागत यादव वोट बैंक के साथ मुस्लिम मतों के सहारे मुकाबले में है।
मथुरा, कांग्रेस, सपा समर्थित राजकुमार रावत ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया
मथुरा.वृंदावन नगर निगम में महापौर पद के लिए त्रिकोणीय मुकाबला नजर आया। भाजपा के साथ कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के बीच यहां चुनावी जंग दिखाई दी। महापौर के लिए भाजपा के उम्मीदवार विनोद अग्रवाल, कांग्रेस के उम्मीदवार श्याम सुंदर उपाध्याय, कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार रावत, बसपा उम्मीदवार राजा अली, आम आदमी पार्टी से प्रवीण भारद्वाज सहित प्रत्याशी मैदान में थे। मतदान के दौरान अधिकांश बूथों पर त्रिकोणीय मुकाबला ही नजर आया। इसमें भाजपा, कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार शामिल रहे। इसमें भी सभी केंद्रों पर भाजपा की मौजूदगी थी। लेकिन भाजपा का मुकाबला कहीं कांग्रेस करते हुए नजर आई तो कहीं कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार की धमाकेदार मौजूदगी देखने को मिली।
सहारनपुर में भाजपा.बसपा के बीच सीधा मुकाबला
सहारनपुर नगर निगम महापौर के पद भाजपा और बसपा के बीच सीधा मुकाबला हुआ। दलित.मुस्लिम समीकरण के चलते बसपा के पक्ष में मुस्लिमों और दलितों का ध्रुवीकरण देखने को मिला। महापौर की सीट के लिए भाजपा ने डॉ अजय कुमार, बसपा ने पूर्व विधायक इमरान मसूद की भाभी खतीजा मसूद, सपा ने विधायक आशु मलिक के भाई नूर हसन मलिक, कांग्रेस ने प्रदीप वर्मा एडवोकेट आप ने सहदेव सिंह को चुनाव में उतारा। मतदान में मुख्य मुकाबला भाजपा के डॉ अजय कुमार और बसपा की खतीजा मसूद के बीच रहा। सपा के नूर हसन मलिक मुकाबले को त्रिकोणीय नहीं बना सके। हिंदू बाहुल्य क्षेत्रो में खूब कमल खिला। मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण के चलते मुस्लिम क्षेत्रों में बसपा का हाथी जमकर मदमस्त चाल चला। दलितों का अधिकांश वोट भी बसपा को मिला।
वाराणसी में भाजपा का पलड़ा भारी
वाराणसी में महापौर के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम में कैद कर दिया है। काशी के मतदाताओं से बातचीत में जो ट्रेंड दिखा है, उसके मुताबिक भाजपा का पलड़ा भारी है। यह सीट भी 1995 से भाजपा के पास है। हालांकि सपा और कांग्रेस प्रत्याशी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। मतदाताओं से बात करने से पता चला कि भाजपा को ओबीसी का अच्छा वोट मिला है। सवर्ण मतदाताओं में भी बहुत ज्यादा बिखराव नहीं हुआ। ज्यादातर मतदाताओं ने विकास के मुद्दे पर वोट देने की बात कही है। वे शहर को साफ.सुथरा बनाना चाहते हैं। वाराणसी नगर निगम में 100 वार्ड हैं। कुछ वार्ड ऐसे रहे, जहां जातीय समीकरण उलझा दिखा।
लखनऊ में महापौर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
मतदान के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि जीतेगा कौन। ज्यादातर इलाकों में भाजपा की सपा से टक्कर दिखी तो कई इलाकों में बसपा प्रत्याशी ने भी मौजूदगी दिखाई। कांग्रेसी की उम्मीद मुस्लिम मतों के विभाजन पर टिकी है। कुछ इलाकों में वोटरों का रुझान आप की ओर भी दिखा।
बृहस्पतिवार को मतदान के दौरान भाजपा प्रत्याशी सुषमा खर्कवाल
लगभग हर बूथ पर लड़ती दिखीं। सपा का खेमा उन्हें जगह.जगह चुनौती देता दिखा। लेकिन बसपा प्रत्याशी शाहीन बानो ने मुस्लिम क्षेत्र में लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया। वैसे पिछले वर्षों के परिणाम देखें तो नगर निगम चुनाव का जो पिछले 25 साल का इतिहास है उसमें भाजपा ही सत्ता में रही है। महापौर तो उसका जीतता ही रहा है। पार्षदों की तादाद में भी वह पहले नंबर पर रही है। पिछले चुनाव में 110 वार्डों में पार्टी के 58 पार्षद थे। उसके बाद उसने चार पार्षद और बढ़ाए जिनको दूसरे दलों से तोड़ा। इस बार चुनाव में भी भाजपा ने सपा और कांग्रेस के उन कई पार्षदों को तोड़ा जो लगातार चुनाव जीत रहे थे। ऐसे में भाजपा ने अपना किला और मजबूत किया है। इसका सीधा फायदा भी महापौर प्रत्याशी सुषमा खर्कवाल को मिलेगा।
वहीं समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी वंदना मिश्रा को ब्राह्मण वोटों की आस है। इसके अलावा सपा का पिछ़ड़ा और मुस्लिम वोट मिलने की भी बात कही जा रही है। लेकिन बसपा की मुस्लिम प्रत्याशी शाहीन बानो से सपा का मुस्लिम वोट बंटने की बात कही जा रही है। कांग्रेसी खेमा सपा और बसपा की इस लड़ाई से फायदा होने की बात कह रहा है। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी व्यापारी समुदाय से और वैश्य वर्ग का है। इसका भी उसको फायदा मिल सकता है।