पुलिसकर्मियों के पास एके-47 और इंसास फिर भी अतीक के हत्यारोपितों पर नहीं चलाई गोली, बताये 5 कारण…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज। अतीक अहमद और अशरफ पर करीब आठ सेकेंड में 18 राउंड फायरिंग की गई। लेकिन पुलिसकर्मी एक भी गोली नहीं चला सके। इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। हिस्ट्रीशीटर सनी ने अपने साथी लवलेश व अरुण के साथ जिस तरीके से वारदात को अंजाम दिया। उससे हर कोई हैरान है। पुलिस की मौजूदगी में अतीक व अशरफ की हत्या से कानून.व्यवस्था पर सवाल उठ रहे, तो पुलिसकर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
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घटना के वक्त मीडियाकर्मियों का था जमावड़ा
हालांकि पुलिस अधिकारियों का तर्क है कि जिस वक्त घटना हुई थी। उस दौरान वास्तविक मीडियाकर्मियों के अलावा अन्य लोगों का भी जमावड़ा था। क्रास फायरिंग में वास्तविक मीडियाकर्मियों की भी जान जा सकती थी। उमेश पाल हत्याकांड में माफिया अतीक और अशरफ को पूछताछ के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड पीसीआर पर लिया गया था।
5 पाकिस्तानी कारतूस व पिस्टल बरामद
दोनों की निशानदेही पर पांच पाकिस्तानी कारतूस सहित पिस्टल भी बरामद की गई थी। इसी बीच अतीक व अशरफ की हालत बिगड़ी और फिर आनन.फानन इलाज के लिए काल्विन अस्पताल ले जाया गया। अभिरक्षा में इंस्पेक्टर राजेश मौर्या, दारोगा रणविजय सिंह, सौरभ पांडेय, सुभाष सिंह, विवेक कुमार सिंह, प्रीत पांडेय, विपिन यादव, शिव प्रसाद वर्मा तैनात थे।
सिपाही विजय शंकर, सुजीत यादव, गोविंद कुशवाहा, दिनेश कुमार, धनंजय वर्मा, राजेंद्र कुमार, रविंद्र सिंह, संजय कुमार प्रजापति, जयमेश कुमार, हरिमोहन, मान सिंह की भी तैनाती थी। पुलिस कर्मियों के पाए एके.47, इंसास, पिस्टल के अलावा दूसरे असलहे थे।
अस्पताल के मुख्य द्वार से भीतर प्रवेश करते ही मीडियाकर्मियों ने सवाल पूछा तो अतीक और अशरफ के पैर ठिठक गए। दोनों भाई अपनी बात कहने के लिए रुके और उसी दौरान एक हाथ में माइक आइडीए कैमरा और दूसरे हाथ में आटोसेमी विदेशी पिस्टल से अतीक व अशरफ को सटाकर गोली मारने लगे।
मगर अभिरक्षा में तैनात कोई पुलिसकर्मी एक भी गोली नहीं चला पाए, जिसे बड़ी चूक मानी जा रही है। हालांकि गोली न चलाने के पीछे कई तर्क भी दिए जा रहे हैं।
मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे थे हमलावर
हमलावर मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे थे। उनके हाथ में कैमरा, माइक आइडी थी। गले में मीडिया का कार्ड भी लटक रहा था। मीडियाकर्मियों के बीच में ही हमलावर थे। जिस कारण पुलिसकर्मी उन्हें पहचान नहीं सके। मीडियाकर्मियों की भीड़ अधिक होने के चलते ही अभियुक्तों को अतीक तक पहुंचने को आसान रास्ता मिला।
सेमी आटोमेटिक हथियार से थे लैस
अभियुक्तों के हाथ में सेमी आटोमेटिक हथियार थे, जिससे चंद सेकेंड में कई राउंड फायरिंग होती है। इस कारण भी पुलिसकर्मियों को संभलने का मौका नहीं मिल पाया और वह क्रास फायरिंग नहीं कर सके। अतीक और अशरफ को सटाकर गोली मारी गई, जिससे पुलिस वाले कुछ समझ ही न पाए।
पुलिस ने अभियुक्त को दबोचा
फायरिंग के दौरान ही दो हमलावरों को पुलिस ने पकड़ लिया था। वीडियो फुटेज से पता चला है कि इंस्पेक्टर राजेश मौर्या ने फायरिंग कर रहे अभियुक्त को पकड़ लिया। लेकिन तब तक वह कई गोली दाग चुका था। इंस्पेक्टर के पकड़ने उसके असलहे की नाल नीचे हुई और जमीन पर भी कई गोली चली। दूसरे दारोगा, सिपाहियों ने भी अभियुक्त को दबोच लिया था।
फायरिंग करने पर निर्दोष की जा सकती थी जान
पुलिस की जवाबी फायरिंग में न केवल वास्तविक मीडियाकर्मी बल्कि तमाम निर्दोष और पुलिसकर्मियों की जान जा सकती थी। भीड़ अधिक थी, जिस कारण गोली नहीं चलाई। शूटरों की फायरिंग में सिपाही मान सिंह को गोली लगी, जिससे वह जख्मी हो गया। हमलावरों की क्रास फायरिंग में लवलेश को भी गोली लगी थी।
पुलिस को नहीं मिला सोचने का समय
हमलावरों ने सबकुछ अचानक और जल्दी किया कि सोचने का मौका भी नहीं मिल पाया। जब तक वह संभले और फायरिंग करने का प्रयास किया, तब तक देर हो चुकी थी। पुलिस की पिस्टल देखते ही एक शूटर जमीन पर लेटकर सरेंडर की मुद्रा में आ गया था। इसके चलते पुलिस ने उस पर फायरिंग नहीं की थी।