अंधविश्वास, भाई की बलि देना चाहती थी शीतल! मां बोली, इस पर भूत का साया बच्चों को बचाने के लिए की मारपीट……
शाहजहांपुर के तिलहर में पति विशाल की मौत के बाद से ही शीतल की मनोस्थिति बदल गई थी। घर में पूजा.पाठ करने के साथ ही वह कई किलोमीटर नंगे पैर चलकर मंदिर जाती थी। मां संतो को भी यकीन था कि शीतल पर भूत.प्रेत का साया है। अनुष्ठान के दौरान उसने बच्चों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। इसी वजह से उसने बेटी के साथ मारपीट की थी।
वहीं पड़ोसियों ने अगर सतर्कता न दिखाई होती तो परिवार के साथ कोई बड़ा हादसा हो सकता था। डॉक्टर के मुताबिक, भूख.प्यास से बेहाल बच्चे बेहोश होने लगे थे। एक.दो दिन और बीत जाते तो जान बचाना मुश्किल होता। सुबह करीब नौ बजे संतो के पड़ोसी ने पूर्व सभासद शैलेंद्र शर्मा उर्फ मंटू को जानकारी दी थी।
पूर्व सभासद शैलेंद्र शर्मा मौके पर पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद था। उन्हें भी मकान के अंदर से कोई आहट सुनाई नहीं दी। मोहल्ले के दो युवकों को दीवार फांदकर अंदर भेजा तो मुख्य गेट पर ताला लगा था। बरामदे के अंदर का कमरा भी अंदर से बंद था। अनहोनी की आशंका के बीच पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और दरवाजा भड़भड़ाकर खुलवाने का प्रयास किया। अंदर से जय बाला जी, मां दुर्गा आदि आवाजें आ रहीं थीं। पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया। पुलिस के अनुसार, अंदर शीतल और उसकी मां चौकी पर पूजा.पाठ कर रहीं थीं। वहीं पर संतो के परिवार के अन्य सदस्य बेहोशी की हालत में पड़े थे। महिला पुलिस ने सभी को एंबुलेंस से सीएचसी पर भिजवाया। वहां भी शीतल जोर.जोर से जाप कर रही थी।
छोटे भाई की बलि देने की चर्चा
मोहल्ले में चर्चा है कि शीतल अपने छोटे भाई की बलि देना चाहती थी। जब मां और बहनों ने विरोध किया तो अंदर से कमरा बंद कर ताला डाल दिया। पुलिस समय से मौके पर पहुंच गई, अन्यथा बड़ी घटना हो सकती थी। पुलिस द्वारा शीतल और संतों को बाहर निकालने के प्रयास के दौरान दोनों भड़क गईं। महिला सिपाहियों की मदद से बमुश्किल उन्हें निकाला गया। राजकीय मेडिकल कॉलेज में शीतल बहकी.बहकी बातें कर रही है। वह अपने ऊपर साया होने की बात कह रही है।
उसकी दोनों आंखें सूजी हुईं हैं। चेहरे पर भी कई जगह चोट के निशान हैं। शीतल का पूजा.पाठ का सिलसिला नवरात्र से शुरू हो गया था। रामनवमी के दिन उसने चौकी स्थापित कर पूजा पाठ किया था। माना जा रहा है कि तब से परिवार के सभी सदस्य भूखे हैं। पुलिस के अनुसारए वह पूजा में उपयोग होने वाला पानी पी रहे थे। भूख के चलते ही सभी की तबीयत बिगड़ गई थी। सीएचसी पर बच्चों को बिस्किट खिलाकर पानी पिलाया गया। तिलहर सीएचसी में भी शीतल जोर से जाप करने लगी।
कमरे के अंदर उठ रही थी दुर्गंध, वहीं की गई थी पेशाब
शीतल और संतो ने पिछले कई दिनों से दरवाजा नहीं खोला था। इसलिए कमरे के अंदर ही बच्चों ने पेशाब की थी। पुलिस को कमरे के बाहर फलए तंत्र.मंत्र वाले कपड़े आदि भी रखे मिले हैं। पुलिस ने जब दरवाजा खोला तो पेशाब की बदबू हर तरफ फैली हुई थी।
सुबह सूचना आने के बाद पुलिस ने पहुंचकर संतो.शीतल व अन्य को सीएचसी पहुंचवाया है। भूखे और प्यासे होने की वजह से कोई कुछ स्पष्ट नहीं बोल पा रहे। ठीक होने के बाद उनसे दोबारा पूछताछ की जाएगी।. बीएस वीर कुमार, सीओ तिलहर
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित दिख है रहा परिवार
जिस तरह की घटना है, उससे पीड़ित मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया की चपेट में लग रहे हैं। सिजोफ्रेनिया में पीड़ित भ्रम का शिकार होता है। उसे ऐसा लगता है कि कोई आवाज दे रहा है। पीड़ित व्यक्ति को देखने, सुनने, महसूस करने या कुछ चीजों की गंध आने लगती है, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ होता नहीं है। उसे कोई आज्ञा भी दे सकता है। उसे कोई काम करने के लिए कहा जा सकता है। कई बार किसी अपने की मृत्यु होने पर उसे उसकी मौजूदगी का अहसास होता है। उससे बातचीत भी हो जाती है। इस बीमारी का काउंसलिंग और दवाओं के जरिये इलाज है। भूत.प्रेत के चक्कर में पड़ने से पीड़ित के साथ परिवार को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।. डॉ. रोहिताश, क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक, राजकीय मेडिकल कॉलेज