बेटा होने के बाद अनु कुमारी ने ठानी आईएएस बनने की, फिर बिना कोचिंग किए ऐसे बनीं टॉपर……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्लीयर करना आसान नहीं, पर नामुमकिन भी नहीं। इस लड़की ने जब आईएएस बनने की ठानी तो पढ़ाई का तरीका ऐसा चुना, सब दंग रह गए।
मन में कुछ करने का जज्बा होता है तो उसे मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसा ही कुछ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2017 की सेकंड टॉपर सोनीपत के विकास नगर की अनु कुमारी ने करके दिखाया है। अनु ने आईएएस बनकर देशसेवा का सपना बचपन में देखा था। लेकिन इस सपने के पूरा होने से पहले उसकी शादी हो गई तो एक बच्चा भी।
नौकरी छोड़ी, ढाई साल के बेटे को मां के पास छोड़ा
इसके बावजूद अनु ने हिम्मत नहीं हारी। परिवार ने सहयोग किया और शादी के बाद सपने को पूरा करने की ओर कदम बढ़ाए। नौकरी छोड़ी, ढाई साल के बेटे को मां के पास छोड़ा और खुद मौसी के घर रहकर पढ़ाई की। करीब डेढ़ साल के लिए मैं अपनी ममता भूल गई थी, लेकिन जो करने की ठानी थी, वह पूरी हो गई और मेरा सपना साकार हो गया।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से पढ़ीं
अनु के पिता बलजीत सिंह मूलरूप से पानीपत के दिवाना गांव के रहने वाले है, लेकिन वह कई साल पहले हॉस्पिटल में एचआर की नौकरी करने के कारण सोनीपत के विकास नगर में आकर बस गए। अनु की 12वीं तक की पढ़ाई सोनीपत के स्कूल से की। अनु दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज की फिजिक्स ऑनर्स की स्टूडेंट रहीं हैं।
आईएमटी नागपुर से एमबीए भी
अनु ने आईएमटी नागपुर से एमबीए भी किया है। अनु पिछले नौ साल से गुड़गांव में एक प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी कर रही थी। लेकिन एग्जाम की तैयारी के लिए दो साल पहले नौकरी छोड़ दी। अनु बताती है कि उन्होंने पहले भी यूपीएससी का प्री एग्जाम दिया था। लेकिन उस समय एग्जाम का सिर्फ तरीका देखा था। अब मैंने एग्जाम पूरी तैयारी के साथ दिया था।
कोई कोचिंग नहीं ली और खुद से पढ़ाई की
अनु बताती हैं कि नौकरी अच्छी थी, लेकिन मुझे अंदर से संतुष्टी नहीं मिल रही थी। मैं लोगों के लिए कुछ करना चाहती थी, इसलिए मैंने यूपीएसएसी क्लीयर करने का सपना पूरा करने की ठानी। मैंने कोई कोचिंग नहीं ली और खुद से पढ़ाई करके ही यह मुकाम हासिल किया। बस कभी अपने लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा और सफलता हाथ लगी।