Wednesday, May 8, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

यूपी विधानसभा में इतने साल बाद लगी अदालत, 6 पुलिसकर्मियों को दी गई सजा, 18 साल पहले तोड़ा था बीपेजी एमएलए का पैर……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। 58 साल बाद यूपी विधानसभा में अनोखा नजारा देखने को मिला। जब यहां पर अदालत लगी और कठघरे में खड़े हुए 6 पुलिसकर्मी। विधानसभा ने करीब दो दशक पुराने मामले में तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई द्वारा विशेषाधिकार हनन के मामले में छह पुलिसकर्मियों को शुक्रवार को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। बता दें विशेषाधिकार हनन का नोटिस वर्ष 2004 का है।

यूपी विधानसभा को शुक्रवार को अदालत में तब्दील कर दिया गया और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने छह पुलिसकर्मियों को एक दिन की कैद ;रात 12 बजे तक का प्रस्ताव पेश किया। स्पीकर सतीश महाना ने इस फैसले की घोषणा की। महाना ने कहा कि पुलिसकर्मी आधी रात तक विधानसभा भवन के एक कमरे में कैद रहेंगे और उनके लिए भोजन और अन्य सुविधाओं जैसी सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी। सजा पर फैसला होने के बाद मार्शल सभी पुलिसकर्मियों को सदन से लॉकअप में ले गए। इससे पहले, विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी।

अखिलेश ने बताया. यह गलत परंपरा है

इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने आरोपियों के कारावास का प्रस्ताव सदन के सामने रखा, जिस पर स्पीकर ने वोटिंग कराई। वोटिंग के दौरान सपा के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। बाकी बचे सदस्यों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पारित करा दिया। मंत्री के प्रस्ताव से स्पीकर ने सहमति जताई और आरोपियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। वहीं जब इस बारे में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव से जब सदन के बाहर इस बारे में मीडिया द्वारा पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा की यह गलत परंपरा है।

इन पुलिसकर्मियों को मिली सजा

तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद ;अब सेवानिवृत्त, तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवई नगर ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उपनिरीक्षक थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह को माफ़ी मांगने के चलते उनके आचरण, व्यवहार को दृष्टिगत रखते हुए उदारतापूर्वक एक दिन के कारावास की सजा सुनाई है।

वर्ष 2004 का है मामला

कानपुर की जनरलगंज सीट से भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ने 25 अक्टूबर, 2004 को विधान सभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि 15 सितंबर, 2004 को वह पार्टी कार्यकर्ताओं.धीरज गुप्ता, विकास जायसवाल, सरदार जसविंदर सिंह, दीपक मेहरोत्रा के साथ शहर में बिजली कटौती से त्रस्त जनता की परेशानियों से संबंधित ज्ञापन डीएम को देने जा रहे थे। तभी क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद और अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें लाठी से जमकर पीटा और भद्दी गालियां दीं। जब उन्होंने विधायक के रूप में अपना परिचय दिया तो अब्दुल समद ने कहा कि ष्मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है। पिटाई से विश्नोई के दाहिने पैर में फ्रैक्चर हो गया था।

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