जंगल में मिला तेंदुए का शव, एक माह में ऐसी तीसरी घटना से सकते में वन विभाग……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
यूपी के सोनभद्र जिले के कैमूर वन प्रभाग एक बार फिर एक तेंदुए की मौत हो गई। उसका शव सोमवार सुबह चिरहौली के जंगल में पड़ा मिला। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। सूचना के बाद वन विभाग अलर्ट हुआ और टीम जंगल पहुंची। टीम ने मौके से तेंदुआ का शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। शव दो से तीन दिन पुराना बताया जा रहा है। तेंदुए की मौत कैसे हुई फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
एक माह के अंदर जिले में तेंदुए के मौत की तीसरी घटना से वन विभाग सकते हैं। आशंका जताई जा रही है कि साथी की मौत के बाद अन्य तेंदुआ भी आबादी क्षेत्र में आकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ दिन पहले भी म्योरपुर में एक तेंदुए को जाल में फंसाकर शिकारियों ने मार डाला था। अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि 15 फरवरी मारकुंडी घाटी में अज्ञात वाहन की चपेट में आकर एक तेंदुए की मौत हो गई।
गणना में नहीं मिले तो फिर कहां से आ रहे तेंदुए
वन विभाग की ओर से प्रत्येक तीन वर्ष पर वन्य जीवों की गणना कराई जाती है। गत वर्ष अप्रैल.मई में गणना के दौरान वन विभाग की टीम को कैमूर के जंगलों में कहीं भी तेंदुए की मौजूदगी के निशान नहीं मिले थे। इसी आधार पर विभाग ने कैमूर के जंगलों में तेंदुआ न होने का दावा किया था।
इसके कुछ माह बाद ही तेंदुए की मौत ने सबको सकते में डाल दिया है। कुछ दिन पहले भी म्योरपुर में एक तेंदुए को जाल में फंसाकर शिकारियों ने मार डाला था। तब भी वन विभाग ने जिले में तेंदुआ न होने की बात कही थी।
नदी में अवैध खनन से हो रही तेंदुए की मौत
कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य में तेंदुए की मौत के लिए पीयूसीएल के प्रदेश सचिव विकास शाक्य एडवोकेट ने अवैध खनन को कारण बताया है। कहा कि अवैध खनन और सेंचुरी के बेहद करीब बफर जोन में भारी ट्रकों की आवाजाही से लगातार वन्य जीव प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से सोनभद्र में सेंचुरी एरिया के एक किमी दायरे को बफर जोर घोषित कर कई दिशा.निर्देश व मानक जारी किया है।
सोन नदी में शिल्पी से गुरदह 20 किलोमीटर व पटवध से कन्हौरा 14 किलोमीटर कैमूर वन्य जीव विहार में है। बीच के 11 किलोमीटर नदी क्षेत्र में कई बालू खनन पट्टे स्वीकृत कर दिए गए हैं। मानक को ध्यान में रखा जाता तो सोन नदी में पानी पीने और जलक्रीड़ा के लिए जाने वाले वन्य जीव नदी में ट्रकों की लंबी कतारों व ध्वनि प्रदूषण से आहत होकर के बेसुध आबादी की ओर नहीं भागते। उन्होंने मामले की जांच कराकर पूर्व घोषित मानकों का पालन कराने की मांग की है।