पश्चिम यूपी में हाथी ने बदली चाल, चुनावी लैब में सोशल इंजीनियरिंग का नया फॉर्मूला तैयार करने में जुटी बीएसपी…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
मेरठ। पश्चिम उत्तर प्रदेश में दोबारा पांव जमाने के लिए हाथी ने चाल बदल दी है। निकाय चुनाव से पहले बसपा चुनावी लैब में सोशल इंजीनियरिंग का नया सूत्र तैयार करने में जुटी है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ब्राह्मण.दलित समीकरण के बूते प्रदेश में सत्तासीन हुईए वहीं इस बार पार्टी की नजर ओबीसी और मुस्लिम वोटबैंक पर टिकी है। पार्टी प्रमुख मायावती ने सटीक रणनीति के तहत अति पिछड़ा चेहरा विश्वनाथ पाल को प्रदेश की कमान थमाकर पश्चिम यूपी मथने का जिम्मा दिया है।
पाल ने मेरठ की रैली में नए जातीय समीकरण की तस्वीर साफ कर दी। लोकसभा से पहले निकाय चुनाव में ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मुस्लिमों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है। सहारनपुर नगर निकाय चुनाव में इमरान मसूद की पत्नी को प्रत्याशी बनाने का संकेत भी दे दिया है। पश्चिम उप्र की माटी में राजनीतिक व्यायाम करते हुए बसपा सत्ता तक पहुंची। लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी राजनीतिक ढलान पर फिसलती चली गई।