भारत नहीं आया जावेद का शव परिजनों ने भारतीय दूतावास पर लगाए आरोप….परिजन डीएम से मिलकर शव मंगाने का
चकिया पूर्वांचल पोस्ट-
सिकंदरपुर गांव निवासी जावेद इद्रीशी की सऊदी अरब में हुई मौत के बाद 6 दिन बीत जाने के बाद भी उसके शव के भारत नहीं आने से परिजनों में कोहराम मचा हुआ। शुक्रवार को बाबतपुर एयरपोर्ट पर आए ताबूत में जावेद के शव की जगह किसी दूसरे व्यक्ति का शव आ गया, जिसे लेने से परिजनों ने इंकार कर दिया। जिस पर एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा शव को एंबुलेंस से शिवपुर (वाराणसी) स्थित मर्चरी में रखवा दिया गया है। शनिवार को चकिया तहसील परिसर पहुंचे मृतक के परिजनों ने सऊदी अरब में स्थित भारतीय दूतावास पर आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी से जावेद के शव को मंगाने की गुहार लगाई।
सिकंदरपुर गांव निवासी दिवंगत डॉ सलाउल्लाह का एकलौता पुत्र जावेद इद्रीशी उर्फ मुन्ना पिछले 22 वर्षों से सऊदी अरब के अल दम्माम शहर में एक मार्केटिंग कंपनी में काम कर रहा था। जावेद पिछले कोरोना काल में हुआ अपने घर आया था। 30 अक्टूबर को वह घर आने वाला थे। पिछले 25 सितंबर को हार्ट अटैक के चलते उनका निधन हो गया। मामले की जानकारी मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। मृतक जावेद के शव को भारत मंगाने के लिए उसके भतीजे नईम अहमद ने पीएम कार्यालय, विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास (सऊदी अरब) को ट्वीट किया था। जिसके बाद मामले को संज्ञान में लेकर भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने मृतक जावेद से संबंधित अभिलेखों को ताबूत पर चस्पा करा कर के उसके शव को भारत भेजवा दिया। ताबूत के दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद मृतक जावेद के रिश्तेदारों द्वारा उसे बाबतपुर एयरपोर्ट वाराणसी भेजा गया। एयरपोर्ट पर बीते शुक्रवार की सायं शव लेने पहुंचे परिजनों ने ताबूत के ऊपर शाजी राजन का स्टीकर लगा देखा तो हंगामा करने लगे। ताबूत में जावेद का शव नहीं होने पर परिजनों ने शव को लेने से इनकार कर दिया।
परिजनों द्वारा तत्काल मामले की जानकारी चकिया विधायक कैलाश आचार्य और जिला अधिकारी चंदौली ईशा दुहन को दी गई। जिस पर जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा सीएमओ से वार्ता कर ताबूत और उसमें रखे शव को शिवपुर के मर्चरी में रखवा दिया। जावेद के अंतिम दर्शन और सुपुर्द ए खाक करने की आस लगाए उसकी पत्नी हाजरा बेगम, माता हसीना बेगम, पुत्र शोएब अख्तर, पुत्री कुल्सुम,ससुर मुस्तकीम, भतीजा नईम, एजाज सहित नाते रिश्तेदारों का रो रो कर बुरा हाल था।