चंदौली की ऐसी परम्परा, जो 60 साल से चली आ रही थी…..जिसे CO ने बंद कराया,, दो गांवों के बीच….. पत्थरबाजी, साधु ने दिया था श्राप
60 साल की पत्थरबाजी परंपरा कराई गई समाप्त
चहनियां, चंदौली।। पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
बलुआ थाना क्षेत्र के महुआरी खास व बिसुपुर गांव के बीच लगभग छह दशक से नागपंची पर चली आ रही पत्थरबाजी परंपरा को सीओ सकलडीहा ने समाप्त करा दिया। इस दौरान दोनों गांव के ग्राम प्रधान व संभ्रातजनों को बैठाकर बकायदा लिखपढ़ी कर पत्थरबाजी परंपरा को समाप्त कराई गई। इससे दोनों गांव के लोग गदगद है।
मान्यता के अनुसार क्षेत्र के महुआरी खास व बिसुपुर गांव के मध्य गंगा किनारे छह दशक पूर्व एक साधु खाना बना रहा था। इस दौरान हांडी आग पर रखकर पानी लेने चला गया। इसी दौरान दोनों गांव के कुछ युवक पहुंचकर हांडी को डंडा से मारकर फोड़ दिये। वही
साधु के आने पर भाग निकले। इसकी जानकारी होने पर साधु कुपित होकर श्राप दे दिया कि दोनों गांव में नागपंचमी के दिन महामारी होगी। इसमें काफ़ी खूनखराबा होगा।
वही ग्रामीणों के काफी अनुनय विनय पर साधु शांत हो गया और नागपंचमी पर ठेलबाजी में सिर फुड़ौव्वल परंपरा का निर्वह्न करने की बात कही। इस क्रम में उक्त परंपरा का दोनों गांव के ग्रामीण करते आ रहे थे। इसकी जानकारी होने पर सीओ सकलडीहा अनिरुद्ध सिंह ने 15 अगस्त पर दोनों गांवों के ग्रामीणों को उक्त परंपरा को समाप्त करने की पहल की। काफी उठापटक के बाद ग्रामीण परंपरा समाप्त कराने पर सहमत हुए।