बिहार से लेकर गुरुग्राम तक मचा बवाल, जानें इस स्कीम की उपयोगिता, एक्सपर्ट व्यू……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। अग्निपथ योजना का एक प्रत्यक्ष लाभ यह है कि सेना में आने और वर्दी पहनकर देशसेवा की इच्छा रखने वाले हजारों युवाओं को अपने सपने साकार करने का मौका मिलेगा। बेशक इनमें से दो.तिहाई युवाओं की चार साल बाद सेवामुक्ति हो जाएगी। लेकिन उनके आत्मविश्वास में हुई बढ़ोतरी, अनुशासन की भावना जगने, स्वास्थ्य की जागरूकता आने और उनके नजरिये में आए फर्क से काफी ज्यादा सामाजिक परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है।
युवाओं को सेना से जोड़ने का काम पूरी संजीदगी से हो, ताकि उसका फायदा हरेक को मिल सके। अगर पूछा जाए कि सेनाओं का प्राथमिक लक्ष्य क्या होता है तो इसका एक सहज जवाब है दुश्मनों से देश की सीमाओं की रक्षा करना। दुनिया के किसी भी देश की सेना के कुछ काम और हैं। जैसे बाढ़.भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं में जान.माल की सुरक्षा करना, दंगे आदि उन अराजक स्थितियों में हालात पर काबू पाना जब स्थितियां स्थानीय प्रशासन और पुलिस के नियंत्रण से बाहर हो गई हों।
इसी तरह की अन्य भूमिकाओं में सेना को काम करते देख कोई यह सवाल नहीं उठाता है कि वहां हजारों.लाखों युवाओं की क्यों भर्ती की गई है। उल्टे सेना की ऐसी भूमिकाएं लोगों में देशभक्ति का भाव भरती हैं और सैनिकों के प्रति सम्मान पैदा करती हैं। लेकिन जब इधर हमारी सरकार ने भारतीय सेना में अस्थायी भर्ती के अभियान के तौर पर एक योजना अग्निपथ का एलान किया तो बेरोजगारी से त्रस्त देश में इससे कोई राहत महसूस करने के बजाय आपत्तियों का बवंडर उठ गया है।