किसी का छिना सुहाग तो किसी की उजड़ गई गोद, तीन बच्चो के सिर से उठा पिता का साया…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
शाहजहांपुर। सूनी गलियां घर के बाहर समूह बनाकर बैठे लोग, सन्नाटे को चीरती विलाप की चीत्कारें। यह माहौल था रविवार को कांट के भंडेरी गांव का। हापुड़ में पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके ने किसी का सुहाग छीन लिया तो किसी की गोद सूनी कर दी। हर कोई अपनी किस्मत को कोस रहा था। दरअसल बेहद कम उम्र में ही ज्यादातर लोग पेट की खातिर कमाने के लिए घर से निकल पड़े थे। भंडेरी गांव निवासी अनिल कुमार अपने माता.पिता की इकलौती संतान थे। माता.पिता की मौत होने के बाद वह कम उम्र में उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन हादसे ने पांच बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया। जिनकी जिम्मेदारी पत्नी बिटाना पर आ गई। सोमवार को जब एक साथ आठ शव पहुंचे तो हर आंख रो पड़ी।
बहनों का छिन गया सहाराः नूरहसन पिता इंसान व मां रेश्मा की पहले ही मौत हो चुकी है। ऐसे में महज 17 साल की उम्र से ही नूरसहन मजदूरी करने लगे। ताकि दोनों बहन नाजरीन व नसीमा का सहारा बन सके। लेकिन हादसे ने उनका यह सहारा भी छीन लिया।
एक भाई की मृत्यु, दूसरे झुलसाः राघवेंद्र अपने भाई सोने लाल के साथ मजदूरी करने के लिए हापुड गए थे। जहां राघवेंद्र की हादसे में मृत्यु हो गई। जबकि सोने लाल गंभीर रूप से झुलस गए। सोने लाल के दो बच्चे है। जबकि राघवेंद्र की अभी शादी नहीं हुई थी। उनकी मां मां शकुंतला देवी की पहले ही मृत्यु हो चुकी।