Monday, April 29, 2024
उत्तर-प्रदेशवाराणसी

चंदौली से सटे यहां इतने मार्च 2006 को हुए बम विस्‍फोट में संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुई थीं 18 मौतें……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। वाराणसी में हुए सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत में सुनवाई हुई। आरोपित आतंकी वलीउल्लाह कड़ी सुरक्षा में डासना जेल से अदालत में पेश हुआ। बचाव व अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद अदालत ने आरोपित आतंकी वलीउल्लाह को दोषी करार दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि सजा पर सुनवाई के लिए छह जून की तारीख तय की गई है। वाराणसी पुलिस ने संकट मोचन मंदिर मामले में 52, रेलवे कैंट धमाके में 53 और दशाश्वमेध घाट केस में 42 गवाह बनाए थे।

संकट मोचन मंदिर, रेलवे कैंट और दशाश्‍वमेध घाट पर 7 मार्च 2006 में बम विस्फोट हुए थे। इस सीरियल बम धमाके में संकट मोचन मंदिर में 7 और रेलवे कैंट में 11 लोगों की जान चली गई थी। वहींए 35 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। 5 अप्रैल 2006 को पुलिस में इलाहाबाद के फूलपुर गांव के वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया था। उसके पास से एके.47 और आरडीएक्स मिला था। उस पर मार्च 2006 में संकट मोचन मंदिर में हुए धमाके की साजिश रचने और आतंकवादी संगठन हूजी को पनाह देने का आरोप था। वलीउल्लाह का केस लडऩे से वाराणसी के वकीलों ने मना कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने केस गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।

सात मार्च 2006 को वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन और संकट मोचन मंदिर में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इसमें 18 लोगों की मौत हुई और 35 से ज्यादा घायल हुए थे। इस मामले में पुलिस ने 5 अप्रैल 2006 को प्रयागराज जिले के फूलपुर गांव निवासी वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया।

पुलिस ने वलीउल्लाह से एके.47 और आरडीएक्स बरामद दिखाया था। पुलिस ने दावा किया कि संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन वाराणसी पर धमाके की साजिश रचने में वलीउल्ला का हाथ था। पुलिस ने वलीउल्लाह के संबंध आतंकी संगठन हूजी से भी बताए थे।

इतना बड़ा धमाका और गिरफ्तारी बस एक

कहा जाता है कि वलीउल्लाह से पूछताछ में उसके कुछ और साथियों के नाम भी सामने आए थे। इसमें प्रमुख रूप से मुस्तकीम, जकारिया और शमीम का नाम शामिल था। ये सभी उत्तर प्रदेश में अलग.अलग स्थानों के रहने वाले थे। आज तक वलीउल्लाह के अलावा कोई और आरोपी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ नहीं आया। ऐसा कहा जाता है कि ये सारे आरोपी बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान भाग गए थे।

हाईकोर्ट के आदेश पर गाजियाबाद ट्रांसफर हुआ था केस

वाराणसी पर धमाके जैसा दाग लगने के बाद वहां के अधिवक्ताओं ने वलीउल्ला का मुकदमा लड़ने से मना कर दिया। जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा गाजियाबाद के लिए ट्रांसफर हुआ था। 23 मई को जिला न्यायाधीश जितेंद्र सिन्हा की अदालत में इस केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत ने फैसले के लिए चार जून की तारीख लगाई थी।

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