Friday, May 3, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

सपा में जिसका विरोध हुआ, उस प्रत्याशी ने दिलाई लगातार 7वीं जीत……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। किशनी को सपा का गढ़ माना जाता है। वर्ष 1993 से यहां समाजवादियों का कब्जा है। वर्ष 2022 के चुनाव में भी सपा ने अपना गढ़ बचाने में सफलता हासिल की। बृजेश कठेरिया पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने फिर से भरोसा जताया था। हालांकि किशनी के कई नेताओं ने इस पर नाराजगी प्रकट की थी। विरोध करने के लिए लखनऊ तक गए थे।

किशनी विधानसभा क्षेत्र में 1993 और 1996 में यहां सपा प्रत्याशी रामेश्वर दयाल वाल्मीकि ने जीत हासिल की थी। वहीं 2002 और 2007 में सपा की संध्या कठेरिया जीत हासिल कर विधायक बनीं। इसके बाद से यहां बृजेश कठेरिया लगातार तीन चुनाव जीते हैं। बृजेश कठेरिया ने वर्ष 2012 में बसपा की संध्या कठेरिया को 35050 वोटों के अंतर से पराजित किया था। जबकि वर्ष 2017 में बृजेश कठेरिया ने भाजपा के सुनील कुमार को 16529 मतों से पराजित कर जीत हासिल की थी।

सपा नेताओं ने किया था विरोध

बृजेश कठेरिया को लेकर सपा के ही कुछ नेताओं ने विरोध किया था। टिकट फाइनल होने के बाद किशनी क्षेत्र के पांच बड़े नेता लखनऊ जाकर अखिलेश यादव से मिले थे और बृजेश कठेरिया की टिकट बदलने की मांग की थी। अखिलेश ने उन्हें पुनः सर्वे कराने की बात कहकर वापस कर दिया था। बृजेश ने अखिलेश यादव की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए सपा को लगातार सातवीं बार कब्जा कराया है।

1989 से किशनी ने निभाया मुलायम का साथ

किशनी वर्ष 1989 से मुलायम समर्थकों का गढ़ बना हुआ है। वर्ष 1989 में मुलायम सिंह ने जनतादल पार्टी से रामेश्वर दयाल वाल्मीकि को प्रत्याशी बनाया था। रामेश्वर दयाल वाल्मीकि ने यहां से जीत हासिल की थी। वर्ष 1991 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी जनता पार्टी से रामेश्वरदयाल वाल्मीकि को टिकट दिया। रामेश्वरदयाल वाल्मीकि ने जीत हासिल की। किशनी विधानसभा क्षेत्र के लोग वर्ष 1989 से लगातार मुलायम सिंह के समर्थन वाले प्रत्याशी को जीत दिला रहे हैं।

किशनी विधानसभा चुनाव

वर्ष विधायक
1993 रमेश्वरदयाल वाल्मीकि सपा
1996 रामेश्वरदयाल वाल्मीकि सपा
2002 संध्या कठेरिया सपा
2007 संध्या कठेरिया सपा
2012 बृजेश कठेरिया सपा
2017 बृजेश कठेरिया सपा
2022 बृजेश कठेरिया सपा

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