Thursday, April 25, 2024
इलाहाबादउत्तर-प्रदेश

इसने ने कहा. लिव इन रिलेशनशिप जीवन जीने का हिस्सा बना, जानें किस मामले में दिया आदेश…….

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सहचर्य ;लिव इन रिलेशन जीवन जीने का नजरिया व हिस्सा बन गया है। इसे व्यक्तिगत स्वायत्तता के रूप में देखने की जरूरत है न कि सामाजिक नैतिकता के पैमाने पर। न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लिव‌ इन रिलेशनशिप में रह रहे दो जोड़े की याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को जीवन जीने का हिस्सा माना है। इसे व्यक्तिगत स्वायत्तता के रूप में देखने की जरूरत है न कि सामाजिक नैतिकता के पैमाने पर। कोर्ट ने कहा कि संविधान में मिले जीवन के अधिकार व वैयक्तिक स्वतंत्रता की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे रिश्तों को मान्यता भी दी है।

कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट ने दिया यह आदेश

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे रिश्तों को मान्यता भी दी है। इसलिए उसे सामाजिक नैतिकता के बजाय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन के अधिकार की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रूप में देखना उचित होगा। कोर्ट ने कहा कि संविधान में मिले जीवन के अधिकार व वैयक्तिक स्वतंत्रता की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। कुशीनगर की शायरा खातून और मेरठ की ज़ीनत परवीन की अपने प्रेमी के साथ दाखिल याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है। दोनों मामलों में परिवार उनके जीवन के प्रतिदिन के क्रियाकलापों में हस्तक्षेप कर रहा है।

हाई कोर्ट ने पुलस अधिकारियों को उनका दायित्‍व बताया

याचियों का कहना था कि उन्होंने पुलिस से संपर्क किया था किंतु कोई मदद नहीं मिली। जीवन की स्वतंत्रता के खतरे के बावजूद उन्हें भाग्य भरोसे छोड़ दिया गया तो हाई कोर्ट की शरण ली है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का दायित्व है कि वह जीवन सुरक्षा के लिए आए नागरिकों के अधिकारों को संरक्षण दे। कानून के तहत निर्धारित अपने दायित्व का निर्वहन करें।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *