20 लोगों की हत्या के चश्मदीद गवाह की मौत, अधूरी रह गई डकैतों को सजा दिलाने की आस……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
कानपुर देहात। जनपद में चालीस साल पहले बेहमई गांव में दस्यु फूलन के गिरोह के नरसंहार में गोली का शिकार होकर घायल हुए मुख्य गवाह जंटर सिंह ने भी दुनिया से विदा ले ली। कई दिनों से बीमार होने की वजह से वह पीजीआइ लखनऊ में भर्ती थेए जहां पर गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। बेहमई कांड में बीते चालीस साल बाद फैसले का इंतजार कर रहे जंटर ने वादी राजाराम की मौत के बाद मुकदमे की अकेले पैरवी कर रहे थे। उनके निधन के बाद बेहमई गांव में शोक की लहर है। बेहमई कांड के मुकदमे में अधिवक्ता का कहना है कि मुख्य गवाह के बयान व गवाही अदालत में काफी पहले हो चुकी है। ऐसे में मुकदमे की कार्यवाही में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
कानपुर देहात के बेहमई गांव 14 फरवरी 1981 को उस समय देश दुनिया में चर्चा में आया था। जब दस्यु फूलन गिरोह ने गांव में धावा बोलकर गांव वालों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों की बौछार कर दी थी। इस नरसंहार में बीस लोग मारे गए थे और कुछ लोग गोली लगने से जख्मी हुए थे। गोली लगने से घायल हुए गांव के जंटर सिंह भी थे। जो पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे में मुख्य गवाह थे। गांव में रहने वाले राजाराम की ओर से मुकदमा दर्ज करके वादी बनाया गया था। वादी राजाराम ही अदालत में मुकदमे की पैरवी करते आ रहे थे। बीते दिनों उनका निधन हो जाने पर जंटर सिंह अदालत में पैरवी कर रहे थे।
बेहमई कांड में मुख्य आरोपित रही दस्यु फूलन, डकैत भीखा, श्यामबाबू, पोसा, रामसिंह व विश्वनाथ के खिलाफ चार्जशीट लगी थी। फूलन समेत रामसिंह डकैतों की मौत हो गई थी। वहीं पोसा जेल में है और श्यामबाबू, विश्वनाथ व भीखा जमानत पर हैं। बीते दिनों अदालत ने फैसला सुनाने से पहले पुलिस से मूल केस डायरी तलब की थी। अबतक पुलिस द्वारा मूल केस डायरी कोर्ट में पेश न किए जाने से फैसला अटका हुआ है। वादी राजाराम की मौत के बाद जंटर सिंह ही कोर्ट जाते थे। बीते एक वर्ष में वह न्यायालय जा रहे थे लेकिन एक दो तारीख से स्वास्थ्य सही न होने की वजह से उन्होंने कोर्ट आना बंद कर दिया था। वह भोगनीपुर तहसील से चतुर्थ श्रेणी कर्मी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और बीमारी की वजह से एक सप्ताह से लखनऊ पीजीआई में भर्ती थे।