Friday, April 26, 2024
उत्तर-प्रदेशकानपुर

अंग्रेज अफसर ने अपनी प्रेयसी के लिए बनवाया था बीबीघर, यहां रखे थे 73 अंग्रेज महिलाएं व 124 बच्चे…..

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

कानपुर। भारत की आजादी का इतिहास भारतीयों की देशभक्ति, त्याग व बलिदान की अमिट कहानियों से भरा पड़ा है। लेकिन सत्तीचौरा घाट और बीबीघर की घटना इस इतिहास के दो ऐसे अध्याय हैं जिस पर इतिहासकारों को सवाल उठाने का अवसर मिल ही जाता है। भले ही यह घटनाएं भय और आक्रोश में की गई हों। बीबीघर की घटना भी ऐसी ही थी। कानपुर पर दोबारा कब्जा करने के बाद अंग्रेजों ने इसे ढहा दिया था।

शहर में जहां आज फूलबाग है। वहां पर बीबीघर नाम का एक छोटा सा भवन था। इसे एक अंग्रेज अफसर ने अपनी हिंदुस्तानी बीबी प्रेयसी के लिए बनवाया था। जिसे बाद में लोग बीबीघर कहने लगे। इसमें छह गज लंबा आंगन था। इसके दोनों ओर 20 फीट लंबे व 16 फीट चौड़े दो कमरे थे। इन कमरों के सामने बरामदे थे। कमरों के दोनो ओर स्नानघर बने थे। इसके परिसर में ही एक कुआं भी था।

1857 की क्रांति से पहले तक बीबीघर में एक यूरेशियन परिवार रहता था जो विद्रोह का बिगुल बजते ही चला गया था। इससे बीबीघर पूरी तरह खाली हो चुका था। 27 जून 1857 को सत्तीचौरा घाट हत्याकांड मे बचाए गए सवा सौ अंग्रेज स्त्रियां व बच्चे सवादा कोठी से लाकर बीबीघर में रखे गए। विद्रोही सैनिकों ने फतेहगढ़ से आ रही नावों को पकड़ा था। जिसमें अंग्रेज अफसर स्त्रियां और बच्चे थे। उन्हें भी यहीं लाकर रखा गया। इतिहासकारों के मुताबिक उस समय बीबीघर मे तीन अंग्रेज अफसर, 73 महिलाएं व 124 बच्चे थे। इनकी देखभाल और सुरक्षा का जिम्मा पेशवा बाजीराव द्वितीय के आश्रय में रहीं बेगम हुसैनी खानम को सौंपा गया। अंग्रेजों की सुरक्षा के लिए नाना साहब पेशवा के सैनिकों का पहरा लगा दिया गया।

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