जिंदगी का खेल खत्म होने के बाद बच्चे बोलें. शिवम नीचे उतर आओ, अब नाटक खत्म हो गया…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
बरेली। शिवम नीचे उतर आओ अब नाटक खत्म हो गया। बच्चे उसे लगातार आवाज दे रहे थे। पहले समझा कि शिवम नाटक ही कर रहा है। बार.बार आवाज देने के बाद भी जब उसकी आवाज नहीं निकली तो बच्चे डर गए और चिल्लाने लगे। आस.पड़ोस के लोग दौड़कर पहुंचे तब तक शिवम के जिंदगी का खेल खत्म हो चुका था। बिलखती मां के करुण क्रंदन से हर किसी की आंख नम हो रही थी। साथ में खेल रहे बच्चे भी सहमे रहेए उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक क्या हो गया।
सदर तहसील क्षेत्र के बावट गांव में भूरे का कच्चा मकान है। आर्थिक रूप से कमजोर भूरे अपनी पत्नी आरती के साथ मेहनत.मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करता है। उसके माता.पिता गांव में ही अलग मकान में रहते हैं। जबकि उसके दो भाई दिल्ली में मेहनत.मजदूरी करते हैं। भूरे का बेटा शिवम काफी दिनों से ननिहाल में रह रहा था। कुछ दिनों पहले घर आकर रहने लगा था। भूरे और आरती की वह इकलौता बेटा था। इसलिए उसको दोनों बहुत लाड करते थे। अक्सर दोनों काम पर चले जाते थे तो बेटा घर पर ही आसपास के बच्चों के साथ खेलता रहता था।
खेत पर जाने से पहले मां ने समझाया था कि बेटा शरारत मत करना, हम लोग जल्दी लौट आएंगे। बच्चों की टोली में कुछ स्कूल जाने वाले बच्चे भी थे। जबकि शिवम स्कूल नहीं जाता था। किसी बच्चे ने स्कूल में 15 अगस्त को होने वाले सरदार भगत सिंह नाटक के बारे में चर्चा की और सभी बच्चे वह नाटक खेलने लगे थे। बच्चों को क्या खबर थी कि खेल.खेल में किसी की जान चली जाएगी। इकलौता बेटे की मौत हो जाने से मां रोते.रोते बेसुध हो जा रही थी। होनी को भला कौन टाल सकता है। आसपड़ोस के लोग भूरे और आरती को यही समझा रहे हैं।