Wednesday, April 24, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

मदर इंडिया की याद दिला गई अनूठी शादी, प्रकृति के अद्भुत नजारे के बीच बैलगाड़ी पर हुई दुल्हन की विदाई….

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

बांदा। 20वीं सदी में 60 के दशक तक होने वाली शादी का नजारा अगर 21वीं सदी में दिखाई दे जाए तो चौंकना लाजमी है। हाथों में मोबाइल थाम चुकी पीढ़ी भी शायद ऐसी शादी देखकर दांतों तले अंगुलियां जरूर दबा लेगी और सन् 1957 की जुबली.डुबली फिल्म मदर इंडिया देख चुके लोगों को नरगिस और राजकुमार की शादी का सीन जरूर याद आ गया होगा।

जी हां मदर इंडिया फिल्म में पत्तों की हरियाली के बीच राजकुमार और नरगिस के फेरे और फिर बैलगाड़ी से विदाई के समय.पिय के घर आज प्यारी दुल्हनिया चली रोए माता.पिता उनकी जुनिया चली। छोड़ बाबुल का अंगना आज दुल्हनिया चली गीत जैसा ही दृश्य बांदा के नरैनी में हकीकत के पर्दे पर उतरा दिखाई दिया। यह अनूठी शादी अब जनपद ही नहीं आसपास के क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बन गई है। कोई मदर इंडिया फिल्म की बात कर रहा है तो कोई दुल्हन के शिक्षक पिता के प्रकृति प्रेम और शादी का अनूठा संगम बता रहा है।

 

पर्यावरण प्रेमी शिक्षक ने कराया विवाह बांदा के नरैनी तहसील क्षेत्र के ग्राम खलारी के शिक्षक यशवंत पटेल का प्रकृति प्रेम जग जाहिर है। पेड़ों की रखवाली और पौधे लगाना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। जीव.जंतुओं के प्रति भी वह खासा लगाव रखते हैं। लोगों की मानें तो वह उनसे बातें भी किया करते हैं। उनकी पत्नी समुनलता अभी हाल में हुए पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई हैं। गोरेपुरवा गांव में रहने वाली वंदना के माता पिता की मौत हो गई थी। जिसपर यशवंत ने उसकी शादी की जिम्मेदारी ली थी। उसका विवाह मध्यप्रदेश के छतरपुर सरबई थानांतर्गत मालपुर गांव निवासी कमलेश से तय हुआ था और 16 जून को शादी हुई।

बैलगाड़ी पर आई बरात, पत्ते.पत्तियों का सजा मंडप

16 जून को बरात दरवाजे आई तो बराती और जनाती शादी की सजावट और इंतजाम देखकर चौंक गए। जनाती इसलिए चौंक रहे थे कि दूल्हा बरात लेकर बैलगाड़ी पर आया था और जनाती इसलिए हैरान थे शादी का पूरा पंडाल पत्तों और पत्तियों से सजाया गया था। इतना ही नहीं मंडप भी पेड़ों के बीच पत्तियों से सजा था। दरअसल, इस अनूठी शादी की रूप रेखा यशवंत ने तैयार की थी और उनके कहने के मुताबिक दूल्हा बैलगाड़ी पर बरात लेकर आया था। मंडप की सजावट भी उन्होंने प्रकृति प्रेम का संदेश देने के लिहाज से करवाई थी।

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