Friday, April 19, 2024
उत्तर-प्रदेश

मुगलसराय वसूली का मुद्दा व पूर्व रक्षामंत्री पर केस दर्ज कराने वाले इस IPS अधिकारी को किया गया जबरन रिटायर,, बोले-सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए, जय हिंद

लखनऊ, पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केस दर्ज कराने के बाद से बेहद चर्चा में रहे 1992 बैच के आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश दिया गया है। अखिल भारतीय पुलिस सेवा से जबरिया रिटायर किए गए अमिताभ ठाकुर ने इसके बाद एक ट्वीट भी किया है। बता दें कि हाल में ही मुगलसराय कोतवाली के वसूली का सूची का मुद्दा उठाया था।

उत्तर प्रदेश में आईजी रूल्स एंड मैन्युअल के पद पर कार्यरत आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। अमिताभ ठाकुर को लोकहित में सेवा में बनाये रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत किये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद अमिताभ ठाकुर ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि मुझे अभी-अभी वीआरएस (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिये। जय हिन्द।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में उत्तर प्रदेश काडर के आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के साथ दो अन्य को भी सरकारी सेवा के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। उत्तर प्रदेश काडर के तीन आइपीएस अफसर गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में बाहर हो गए और अब इनको अनिवार्य सेवनिवृत्ति दी गई है। अमिताभ ठाकुर के साथ राजेश कृष्ण और राकेश शंकर को अनिवार्य सेवानिवृति दी गई है।

उत्तर प्रदेश काडर के 1992 बैच के आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने के साथ ही उनके खिलाफ लखनऊ में केस भी दर्ज करावाया था। इसके बाद अखिलेश यादव सरकार ने उनके खिलाफ भी केस दर्ज कराया। उनके खिलाफ पांच पांचवीं विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। उनके खिलाफ आरोप था कि 16 नवम्बर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्यौरा शासन को नहीं दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया। आरोपपत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल एवं अचल संपत्तियां, बैंक व पीपीएफ जमा की हैं। उनको ऋण व उपहार प्राप्त हुए थे, किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।

 

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