Friday, April 26, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

मुर्गी बत्तख भूल जाइए, 280 अंडे देने वाले इस पक्षी के पालन से कम खर्च में होगी शानदार कमाई…..

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

हाल के कुछ वर्षों में अंडे और मीट की खपत बढ़ी है। मांग बढ़ने के साथ ही इन क्षेत्रों में कमाई के भी अवसर बढ़े हैं। ऐसे में सामान्यत लोगों का ध्यान मुर्गी और बत्तख पालन के व्यवसाय की ओर जाता है। देसी मुर्गी एक साल में औसतन 150 से 200 अंडे देती है। लेकिन जिस पक्षी की यहां हम बात कर रहे हैं। वह औसतन 280 से 300 अंडे देती है। हम बात कर रहे हैं, जापानी बटेर की।

इस बारे में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ विवेक प्रताप सिंह ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन की तुलना में जापानी बटेर का पालन कम खर्चीला है और इसमें कम स्पेस की ही जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि बटेर को पहले मीट के लिए घरों में पाला जाता था। लेकिन मांग बढ़ने से इसको अब व्यवसाय के रूप में देखा जा रहा है। कम देखरेख में बटेर से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।

बटेर की पालने योग्य किस्में
डॉ विवेक ने बताया कि आमतौर पर जापानी बटेर को ही बटेर कहा जाता है। पंख के आधार पर इसे विभिन्न किस्मों में बांटा जा सकता है। जैसे. फराओं, इंगलिश सफेद, टिक्सडो, ब्रिटश रेज और माचुरियन गोल्डन, देश में जापानी बटेर लाया जाना किसानों के लिए मुर्गी, बत्तख पालन जैसे क्षेत्र में एक नये विकल्प के तौर पर आयाण् इसके साथ ही लोगों को स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में भी यह महत्वपूर्ण साबित हुआ।

वे बताते हैं कि केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतदार, बरेली में सबसे पहले बटेर को पालन के लिए लाया गया था।जहां इस पर काफी शोध कार्य किए जा रहे हैं।आहार के रुप में तो इसका इस्तेमाल है ही, बटेर में अन्य विशेष गुण भी हैं। जो इसे व्यवसायिक तौर पर लाभदायक अंडे और मीट के उत्पादन में सहायक बनाते हैं।

45 दिन की आयु से ही अंडे देने लगती है बटेर
जापानी बटेर प्रतिवर्ष तीन से चार पीढ़ियों को जन्म दे सकने की क्षमता रखती है।मादा बटेर 45 दिन की आयु से ही अं​डे देना शुरू कर देती है और 60वें दिन तक पूर्ण उत्पादन की स्थिति में आ जाती है। अनुकूल वातावरण मिलने पर बटेर लंबी अवधि तक अंडे देती रहती है। उन्होंने बताया कि मादा बटेर वर्ष में औसतन 280 अंडे दे सकती है।

1 मुर्गी की जगह में 8.10 बटेर का पालन
डॉ विवेक ने बताया कि एक मुर्गी के लिए निर्धारित स्थान में 8 से 10 बटेर रखे जा सकते हैं। छोटे आकार का होने के कारण इनका पालन आसानी से किया जा सकता है। बटेर पालन में दाने की खपत भी अपेक्षाकृत कम होती है। शारीरिक वजन में तेजी से बढ़ोतरी के कारण ये 5 हफ्ते में ही खाने योग्य हो जाते है।

अंडे और मांस से मिलते हैं पोषक तत्व
बटेर के अंडे और मांस में मात्रा में अमीनो अम्ल, विटामिन, वसा और अन्य पोषक पदार्थ पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। मुर्गियों की उपेक्षा बटेरों में संक्रामक रोग कम होते हैं। इसके साथ ही बीमारियों की रोकथाम के लिए मुर्गी.पालन की तरह इनमें किसी प्रकार का टीका लगाने की आवश्यकता नहीं है। बटेर में प्रजनन क्षमता अधिक होने के साथ ही इनमे अंडे सेने का भी अच्छा गुण होता है। जिससे इनके संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *