यूपी पंचायत चुनावः यहां आरक्षण को लेकर असमंजस में प्रत्याशी, जानिए कैसे हो रही प्रधानी की तैयारी…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
अमेठी विधानसभा क्षेत्र के विकासखंड भादर की रायपुर रामगंज ग्राम सभा 1995 से 2015 तक के ग्राम प्रधान चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हुई है। वर्ष 2000 में प्रधान पद पिछड़े वर्ग की महिला के लिए आरक्षित था। 2010 व 2015 के चुनाव में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी। अब सीट की घोषणा क्या होती है किस वर्ग के लिए यहां की प्रधान पद आरक्षित होता है यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन ग्राम पंचायत में आरक्षण को लेकर हलचल तेज हो गई है। चाय दुकानों व चौराहों पर आरक्षण को लेकर संभावित प्रत्याशियों का गुणा गणित करना जारी है। कई प्रत्याशी बड़े राजनेताओं के माध्यम से अपनी मनपसंद सीट कराने के फिराक में हैं तो अधिकांश प्रत्याशियों में जिला निर्वाचन अधिकारी के निर्णय पर पूरी पारदर्शिता में विश्वास बना हुआ है।
राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशों पर यदि नजर डालें तो भादर ब्लॉक की 53 ग्राम पंचायतों में से 34 ग्राम पंचायतें आरक्षित श्रेणी में रहेंगी। 17 ग्राम पंचायतें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। अनारक्षित श्रेणी में 19 ग्राम पंचायते हैं। रायपुर रामगंज ग्राम पंचायत चर्चित ग्राम पंचायतों में से एक है। जहां 1995 में सामान्य सीट पर सत्यनारायण जायसवाल ग्राम प्रधान चुने गए थे। वर्ष 2000 में यह सीट पिछड़ा वर्ग महिलाओं के लिए आरक्षित थी। इसमें कमला देवी साहू ग्राम प्रधान चुनी गई थी 2005 में यह सीट पुनः सामान्य श्रेणी में चली गई। इसमें एक बार फिर सत्यनारायण जायसवाल विजय होने में कामयाब रहे। सत्यनारायण 1990 में भी ग्राम प्रधान चुने गए थे। वर्ष 2010 व 2015 में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित घोषित की गई थी। इसमें इसरावती देवी यादव और अनीता गुप्ता प्रधान चुनी गई थी। पिछले 5 पंचवर्षीय में इस ग्राम पंचायत का पद अनुसूचित जाति को आरक्षित नहीं हुआ।
रायपुर रामगंज ग्राम पंचायत में कुल मतदाताओं की संख्या 4100 है। इसमें रायपुर ग्राम पंचायत में लगभग मतदाताओं की संख्या 462 है जातिगत आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो इस ग्राम पंचायत में 37 सामान्य, 53.5ः ओबीसी व 9.5ः अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। इस वर्ष 2021 में ग्राम प्रधान पद के लिए सामान्य वर्ग व पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए अपनी.अपनी ताल ठोक रहे हैं। परए चुनाव आयोग के नए निर्देशों के बाद यह सीट अनुसूचित जाति घोषित किए जाने की आशंका को लेकर सभी सशंकित है। जैसे.जैसे यह सीट अनुसूचित जाति होने की संभावनाएं होने लगी है वैसे ही अनुसूचित जाति के के लोगों में भी प्रधान पद का प्रत्याशी बनने की ललक बढ़ गई है। कम संख्या होने के बावजूद भी कुछ पुराने प्रत्याशी अपने.अपने प्रत्याशी उतारने के फिराक में हैं। कई अनुसूचित जाति प्रत्याशी स्वयं अपने बल पर चुनाव लड़ने का मन बना लिए हैं।