दिल्ली से लेकर नोएडा और गाजियाबाद में भी प्रदूषण का स्तर खराब श्रेणी में पहुंच गया है। दिल्ली में मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 318 दर्ज किया गया है। जबकि जहांगीरपुरी 567 दर्ज हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) समय समय पर आंकड़े जारी कर रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के देश भर में प्रदूषण जांच के लिए 238 स्टेशन हैं। इसके मुताबिक हनुमानगढ़ में 291, भिवानी में 289, रोहतक में 283, जिंद में 277 समेत 18 सब केंद्रों में एक्यूआई खराब श्रेणी में रहा। वहीं, एनसीआर में दिल्ली के बाद गाजियाबाद की हवा सबसे खराब रही। यहां 257 एक्यूआई दर्ज किया गया। साथ ही, नोएडा में 252, गुरुग्राम में 210, ग्रेटर नोएडा में 183 और फरीदाबाद में 165 एक्यूआई रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि बेहद खराब हवा में लंबे समय तक संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है। इसके साथ ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का दूसरा चरण लागू हो गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदूषकों के प्रभावी फैलाव के लिए मौसम संबंधी स्थितियां प्रतिकूल हैं। रात के दौरान शांत हवाएं चल रही है। ऐसे में पराली जलाने जैसे स्रोतों से अतिरिक्त उत्सर्जन से हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो रही है।
अगले दो दिन भी खराब रहेगी हवा सीपीसीबी के मुताबिक शादीपुर, आरकेपुरम व मुंडका सहित 10 इलाकों में एक्यूआई अति गंभीर श्रेणी में रही। जबकि बवाना, नॉर्थ कैंपस, बुराड़ी समेत 22 इलाकों में एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के मुताबिक, सोमवार को हवा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पूर्व दिशा की ओर से चली। इस दौरान हवा की गति छह से दस किलोमीटर प्रतिघंटा रही। मंगलवार को हवा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पूर्व दिशाओं से चलने का अनुमान है। इस दौरान हवा की गति आठ से दस किलोमीटर प्रतिघंटे से चलेगी। वहीं, बुधवार को हवा दिशा बदलेगी और उत्तर से उत्तर-पूर्व दिशा से हवा चलेगी। जबकि बृहस्पतिवार को हवा उत्तर-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की दिशा से चलने का अनुमान है।
2.881 फीसदी रही पराली की हिस्सेदारी आईआईटीएम के मुताबिक सोमवार को उत्तर भारत में पराली जलाने की 500 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। ऐसे में दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 2.881 फीसदी रही। वहीं, मंगलवार को हवा में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 6.86 फीसदी रह सकती है। डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण में खुले में कूड़ा जलने से होने वाले धुआं 0.989 फीसदी रहा। जबकि यातायात से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 9.953 फीसदी ही