जिले के छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह गले में मैं जिंदा हूं… का बैनर लटकाए, हाथ में नामांकन फॉर्म और 25 हजार रुपये शुल्क के साथ बुधवार को कचहरी पहुंचे। लेकिन, अफसरों ने उन्हें मौके पर ही रोक दिया। इस पर वह कचहरी गेट पर ही धरने पर बैठ गए। कहा कि राजस्व अभिलेखों में उन्हें प्रशासन ने मृत घोषित कर दिया है। खुद को जिंदा साबित करने के लिए चुनाव लड़ने आए हैं।
संतोष 20 वर्षों से चुनाव लड़ रहे हैं। 2012 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। 2014 और 2019 में वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव में नामांकन किया, लेकिन सभी चुनावों का पर्चा खारिज हो गया। संतोष मूरत ने बताया कि राजस्व अभिलेखों के अनुसार, उनकी मौत 2003 में मुंबई में ट्रेन में हुए बम धमाके में हो चुकी है। फर्जी तरीके से बने मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर उनके ही कुछ लोगों ने उनकी साढ़े बारह एकड़ भूमि अपने नाम कराकर बेच भी दी। कई बार तो पुलिस जेल भेज चुकी है।